पुस्तक का नाम – उपनिषद् प्रकाश
लेखक – प्रो. सत्यव्रत सिद्धान्तालंकार
प्रो. सत्यव्रतजी सिद्धान्तलंकार ने अपने गीता–भाष्य के अतिरिक्त सभी ग्यारहों मुख्य उपनिषदों पर एक अन्य अद्वितीय ग्रंथ लिखा है जिसका नाम उपनिषद् प्रकाश है। इस ग्रंथ में सभी उपनिषदों की, संस्कृत के झमेले में पड़े बिना, ऐसी सरल तथा बोधगम्य व्याख्या है कि इसे पढने से ऐसा अनुभव होता है मानों किसी आध्यात्मिक गुरु से उपनिषदों के रहस्यों की चर्चा सुन रहे हैं। प्रोफेसर साहब की ‘एकादशोपनिषद्’ का ‘उपनिषद् प्रकाश’ पूरक ग्रन्थ है। जो बात एकादशोपनिषद् में समझ न पडे उसकी गुत्थी उपनिषद् प्रकाश को पढने से खुल जाती है। यदि आप संस्कृत का ज्ञान नहीं भी रखते हैं तब भी उपनिषद् प्रकाश के स्वाध्याय से, उपनिषदों के रहस्य को समझ जायेंगे। इस ग्रंथ को पढने का अनुभव आध्यात्मिक उपन्यास पढने जैसा होता है।
प्रो. सत्यव्रतजी सिद्धान्तलंकार ने वैदिक–साहित्य पर जो ग्रन्थ लिखे हैं उनके कारण उन्हें राष्ट्रपति द्वारा वैदिक साहित्य के प्रकाण्ड पंडित के रुप में सम्मानित किया गया है, तथा उनके वैदिक साहित्य के प्रत्येक ग्रंथ को उच्च कोटि का घोषित करके उपहार प्रदान किये गये हैं। इस उच्च कोटि के ग्रन्थ को आप vedrishi.com वेबसाईट से प्राप्त कर सकते हैं।
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