Vedrishi

Free Shipping Above ₹1500 On All Books | Minimum ₹500 Off On Shopping Above ₹10,000 | Minimum ₹2500 Off On Shopping Above ₹25,000 |
Free Shipping Above ₹1500 On All Books | Minimum ₹500 Off On Shopping Above ₹10,000 | Minimum ₹2500 Off On Shopping Above ₹25,000 |

वाक्यपदीयम्

Vakyapadiyam

3,500.00

SKU field_64eda13e688c9 Category Rishi Dev
Edition : 2023
Publishing Year : 2023
Packing : 5 vol.
Pages : 2300
Dimensions : 14X22X10
Weight : 3200
Binding : Paperback
Share the book

ग्रन्थ का नाम – वाक्यपदीयम्

हिन्दी व्याख्याकार एवं सम्पादक – विद्यावाचस्पति प्रो. हरिनारायण तिवारी

 

वाक्यपदीयग्रन्थ भर्तृहरि द्वारा रचित है। यह व्याकरणशास्त्र का ग्रन्थ है। व्याकरणशास्त्र के दो भाग है – (1) प्रक्रियाभाग (2) दर्शनभाग

इसमें प्रक्रियाभाग में वाक्य सें पदों को पृथक् किया जाता है। उसके बाद पदों से प्रकृति और प्रत्यय का विभाजन करके उनके अर्थों का प्रतिपादन किया जाता है।

दर्शनभाग में शब्द के नित्यत्व और अनित्यत्व पर विचार किया जाता है तथा वैदिक, लौकिक आदि शब्दों पर प्रकाश डाला जाता है।

भर्तृहरि ने अपने ग्रन्थ में व्याकरण के इन दोनों भागों का सविस्तार विवेचन किया है। यह ग्रन्थ महाभाष्य पर आधारित भाष्यमूलक ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में जो भी विषय बताये गये हैं, उनका अधिकांश भाग सूत्ररूप और सुस्पष्ट से महाभाष्य में वर्णित है। इस ग्रन्थ का ब्रह्मकाण्ड तो महाभाष्य का ही सार है।

 

वाक्यपदीय ग्रन्थ तीन काण्डों में है –

  1. ब्रह्मकाण्ड
  2. वाक्यकाण्ड
  3. पदकाण्ड

इन तीनों काण्डों में कारिकाओं की संख्या इस तरह है –

ब्रह्मकाण्ड में 155 कारिकाएँ है। वाक्यकाण्ड में 485 कारिकाएँ है। पदकाण्ड में 1349 काण्डिकाएँ है। इस तरह इस ग्रन्थ में लगभग 1990 कारिकाएँ है। इनकें प्रतिपाद्य विषय निम्न प्रकार है –

(1) ब्रह्मकाण्ड – ब्रह्मकाण्ड को मुख्यतः आगम काण्ड कहा जाता है। इस काण्ड में शब्द को ब्रह्म से सम्बोधित किया है। भर्तृहरि ने शब्द को अनादिनिधन, अक्षर माना है। शब्द ब्रह्म की प्राप्ति का मूल वेद ही माना है। इस काण्ड में वाणी के वैखरी, मध्यमा, पश्यन्ती और परापश्यन्ती नामक चार भेद माने है जिनका विस्तृत विवेचन इस काण्ड में किया गया है। इस काण्ड में ऋषियों के ग्रन्थों और वेदों के शब्द प्रमाण के प्रमाणत्व को सिद्ध किया है। वैयाकरणों ने शब्द के दो रूप माने है। स्फोट और वैखरीरूप से दो प्रकार के शब्दों में कार्यकारणभाव माना गया है, शब्दों के स्फोट और वैखरीरूप के सन्दर्भ में ब्रह्मकाण्ड में विस्तृत निरूपण प्रस्तुत किया है। इस काण्ड में वैदिक शब्दों से लौकिक और लौकिक संस्कृत से अपभ्रंशादि प्राकृत भाषाओं की निष्पत्ति पर भी प्रकाश डाला है।

 

 

इस ग्रन्थ का द्वितीय काण्ड वाक्य काण्ड है, इसके प्रतिपाद्य विषय निम्न प्रकार है –

(2) वाक्यकाण्ड – इस ग्रन्थ में वाचकात्मा शब्द का स्वरूप-प्रतिपादन करने के लिए द्वितीय काण्ड का आरम्भ किया गया है। इसमें शब्द के स्वरूप के विषय में न्यायचार्य और वैयाकरणचार्य के मतों की समीक्षा की गई है। इस काण्ड में वाक्यों के प्रकारों की विवेचना की गई है। इस काण्ड में प्रतिभापदार्थ का वर्णन किया है जिसके निम्न प्रकार है –

(1) स्वभाव

(2) चरण

(3) अभ्यास

(4) योग

(5) अदृष्ट

(6) विशिष्टोपहिता

इन छह प्रतिभाओं का उल्लेख इस ग्रन्थ में किया गया है। इस काण्ड में शब्दार्थसम्बन्ध का प्रत्याख्यान भी किया गया है।

 

तृतीयकाण्ड अर्थात् पदकाण्ड के प्रतिपाद्य विषय निम्न प्रकार है –

  1. पदकाण्ड – इस काण्ड में जातिसमुद्देश और द्रव्यसमुद्देश के विषय में अत्यन्त आकर्षक व्याख्या की गई है। इस काण्ड में “भूवादयो धातवः”- पा.सू.1.3.1 के भाष्य में द्वयर्थः पचिः कहा गया है, पदकाण्ड में इसका अर्थ बताते हुए दो स्थलों पर भर्तृहरि ने कहा है कि पच् धातु के दो अर्थ होते है – विक्तिति और सिद्धि। इस तरह भर्तृहरि ने द्वयर्थ को इस काण्ड में प्रतिपादित किया है। इस काण्ड में कारकत्व पर विचार किया है तथा षष्ठी के कारकत्व पर मत प्रस्तुत किया है।

 

प्रस्तुत ग्रन्थ वाक्यपदीयम् का हिन्दी में व्याख्या है, यह भाष्य हिन्दी में होने के कारण संस्कृतानभिज्ञ पाठकों को भी बहुत साहयक सिद्ध होगी। इस भाष्य के आरम्भ में विस्तृत भूमिका दी हुई है, जिसमें भर्तृहरि का परिचय, वाक्यपदीयम् के भाष्यकार, वाक्यपदीयम् के प्रतिपाद्य विषयों का संक्षिप्त परिचय सम्मलित है।

 

आशा है कि इस ग्रन्थ के अध्ययन से संस्कृत प्रेमियों को बहुत लाभ होगा तथा उनके व्याकरणज्ञान के भण्डार में वृद्धि होगी।

Weight 6415688 g

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Vakyapadiyam”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recently Viewed

You're viewing: Vakyapadiyam 3,500.00
Add to cart
Register

A link to set a new password will be sent to your email address.

Your personal data will be used to support your experience throughout this website, to manage access to your account, and for other purposes described in our privacy policy.

Lost Password

Lost your password? Please enter your username or email address. You will receive a link to create a new password via email.

Close
Close
Shopping cart
Close
Wishlist