वेद समस्त ज्ञान – विज्ञान की कुंजी है। वेदों से ही समस्त ज्ञान सम्पूर्ण विश्व में फैला। वेदों के सार रुप ज्ञान में सबसे आवश्यक ज्ञान है – कृषि विज्ञान। कृषि को सस्य कर्म अथवा वेदों के उपवेद के रुप में सस्यवेद भी कहते हैं।
कृषि कर्म को ऋषियों ने ही नहीं अपितु पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादूर शास्त्री जी ने भी हमारी आत्मनिर्भरता के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण माना था। इसीलिए उन्होने “जय जवान – जय किसान” का उद्घोष किया था। काश्यप, पाराशरादि मुनियों ने कृषि के वैज्ञानिक पक्ष को लेकर अपने – अपने ग्रंथों की रचनाऐं की थी। बराहमिहिर, भोजादि मध्यकालीन विद्वानों ने भी अपने – अपने ग्रंथों में कृषि सम्बन्धित चर्चाऐं की है। इनके अलावा ब्राह्मण ग्रंथ, वेद शाखाऐं, कल्पसूत्र, ज्योतिषादि ग्रंथों में कृषि सम्बन्धित कथनों का उल्लेख प्राप्त होता है।
प्रस्तुत ग्रंथ में भी ब्राह्मण, आरण्यकों, वेद, शाखाऐं, कल्पसूत्रों को ही आधार बना कर कृषि की चर्चा की गई है। कृषि – कर्म की प्राचीन और अत्यन्त उपयोगी तकनीकों का पुस्तक में वर्णन किया गया है। जिससे आजकल प्रयुक्त होने वाली रासायनिक खाद्य और कीटनाशक के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है तथा प्राकृतिक रुप से निर्मित खाद्य और औषधियों से ही उत्तम गुणवक्तायुक्त फसलों को प्राप्त किया जा सकता है। कृषि की प्राचीनता दर्शाने के लिए पुस्तक में प्राचीन सभ्यताओं के भी प्रमाण तथा चित्रों का संकलन किया गया है।
प्रस्तुत ग्रंथ अत्यन्त सरल एवं रुचिकर है। ये ग्रंथ विद्वानों, छात्रों, प्राचीन विज्ञान प्रेमियों के लिए अत्यन्त उपयोगी एवं ज्ञानवर्धक होगा।
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Vedic Krishi Vigyan
वैदिक कृषि विज्ञान
Vedic Krishi Vigyan
₹1,795.00
Subject : Vedic Agriculture
Edition : 2012
Publishing Year : 2012
SKU # : 36496-VG00-0H
ISBN : 9788177022872
Packing : N/A
Pages : 356
Dimensions : 10.00 X 7.50 INCH
Weight : 860
Binding : HARDCOVER
Description
Additional information
Weight | 860 g |
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