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वेदों में लोक-कल्याण

Vedon mein lok-kalyaan

200.00

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By : डॉ. कपिलदेव द्विवेदी
Edition : 2023
Publishing Year : 2023
ISBN : 9788185246796
Packing : Paperback
Pages : 215
Dimensions : 14X22X2
Weight : 270
Binding : Paperback
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वेद आर्य-संस्कृति के आधार स्तम्भ हैं। ये आर्यजाति के प्राण- स्वरूप हैं। ये मानवमात्र के प्रकाश स्तम्भ हैं। विश्व को सभ्यता और संस्कृति का ज्ञान देने का श्रेय वेदों को है। वेद ही विश्व शान्ति, विश्व-बन्धुत्व और विश्व-कल्याण के प्रथम उ‌द्घोषक हैं। वेदों से ही आर्य-संस्कृति का विकास हुआ है, जो विश्व को धर्म, ज्ञान विज्ञान, आचार-विचार और सुख-शान्ति की शिक्षा देकर उसकी समुन्नति और विकास का मार्ग प्रशस्त करती है।

वेदों के विषय में मनु महाराज का यह कथन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है कि ‘सर्वज्ञानमयो हि सः’ (मनु० २.७) अर्थात् वेदों में सभी विद्याओं के सूत्र विद्यमान हैं। वेदों में धर्म, ज्ञान, विज्ञान, दर्शन, आचारशिक्षा, आयुर्वेद, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र आदि से संबद्ध सामग्री प्रचुर मात्रा में विद्यमान है। इसमें लोक-कल्याण से सम्बद्ध सामग्री भी सैकड़ों मन्त्रों में विद्यमान है। प्रस्तुत ग्रन्थ में उसका ही विवेचन और विश्लेषण किया गया है।

प्रस्तुत ग्रन्थ ‘वेदामृतम्-ग्रन्थमाला’ (४० भाग) का अन्तिम भाग है। इसको तीन खण्डों में विभक्त किया गया है- १. विश्वकल्याण, २. राष्ट्रकल्याण, ३. जनकल्याण ।

प्रथम भाग वेदामृतम् का ३८वाँ भाग है। इसमें वेदों में प्राप्त विश्वकल्याण सम्बन्धी तथ्यों का निरूपण किया गया है। इसमें प्रमुख शामिल विषय हैं- संस्कृति, मित्रता, अभय, योगक्षेम, माधुर्य, व्रत और दीक्षा, सुख-शान्ति, सत्य और अहिंसा ।

द्वितीय भाग वेदामृतम् का ३९वाँ भाग है। इसमें वेदों में प्राप्त राष्ट्रकल्याण सम्बन्धी तथ्यों का निरूपण है। इसमें मुख्य रूप से शामिल विषय है- राष्ट्र के धारक तत्त्व, सत्य, ब्रह्म, राष्ट्र का स्वरूप, राष्ट्र-रक्षा, सभा-समिति, राजा के कर्तव्य, स्वराज्य, पर्यावरण ।

तृतीय भाग वेदामृतम् का ४०वाँ भाग है। इसमें वेदों में प्राप्त जनकल्याण सम्बन्धी तथ्यों का निरूपण किया गया है। इसमें जन-कल्याण सम्बन्धी सभी आवश्यक बातों का निर्देश दिया गया है। इसमें मुख्य रूप से ये विषय लिए गए हैं- जीवन-दर्शन, ब्रह्म, ईश्वर, ब्रह्म-साक्षात्कार, सत्य और श्रद्धा, अभय, दुर्गुणों से बचें, कृषि, व्यापार, सद्गुण, सुमति, पर्यावरण ।

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