पुस्तक का नाम – विदुरनीतिः
अनुवादक – स्वामी जगदीश्वरानन्द सरस्वती
नीतिशास्त्र और धर्मशास्त्र पर्यायवाची शब्द हैं। धर्मशास्त्र और नीतिशास्त्र में चारों वर्णों के कर्तव्य और राजनीति का सविस्तार वर्णन है। नीति शास्त्रों में चाणक्य नीति, शुक्रनीति सार, विदुर नीति प्रमुख हैं। धर्मशास्त्र में आपस्तम्ब आदि धर्मसूत्र और स्मृतियों में मनुस्मृति की गणना है। विदुर नीति महाभारत का एक अंश है, विदुरनीति के समान ही महाभारत में नारद, कणिक, भीष्म आदि की भी नीतियाँ हैं, किन्तु विदुर नीति का एक विशिष्ट स्थान है। इसमें विदुर जी ने धृष्टराष्ट्र के प्रति नीति उपदेश दिया है। विदुर जी सत्यवादी, विद्वान, निर्भीक, सदाचारी थे। उनके उपदेश नैतिक, चारित्रिक उत्थान करने वाले हैं, इसी दृष्टि से ऋषि दयानन्द सरस्वती ने महाभारत के अंतर्गत विदुरनीति के विशेष पठन-पाठन का विधान किया है।
आज के भ्रष्ट राज्याधिकारियों, विद्यार्थियों को इस ग्रन्थ का गहन अध्ययन मनन करना चाहिए तथा काम, क्रोध, लोभ, मोह, अंहकार रूपी पांच शत्रुओं पर विजय प्राप्त करनी चाहिए। अन्य विदुरनीति के अनुवादों में से इस अनुवाद की निम्न विशेषताएँ हैं –
१. मूल संस्कृत पाठ को शुद्धतम रूप में छापा है।
२. विशद् भावार्थ दिया है।
३. अनेक स्थानों पर जहाँ आवश्यक था वहाँ विशेष वक्तव्य भी लिखे हैं।
४. अनेक स्थानों पर पाठ-भेद दर्शाया गया हैं।
५. अंग्रेजी अनुवाद भी दिया हैं।
आशा है प्रबुद्ध पाठकगण इसका समादर करेंगे।
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