श्री शंभुनाथ डे / Shri Shambhunath De
Share the bookश्री शंभुनाथ डे / Shri Shambhunath De क्या आपने कभी ‘काली मौत’ के संबंध में सुना है ? यदि नहीं तो ‘प्लेग महामारी’ से हुई करोड़ों मृत्यु को बताने के लिए इन शब्दों का प्रयोग होता है। ‘नीली मौत’ भी इसी प्रकार की एक महामारी है, जिससे ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’के अनुमान अनुसार आज […]
Read Moreरामराज्य / Ram-Rajay
Share the bookरामराज्य / Ram-Rajay मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम हमारे आदर्श हैं और उनके राज्य-काल को हम सामान्यतः ‘रामराज्य’ कहते हैं। वर्णनों के अनुसार वह समय सुख-समृद्धि व वैभव का समय था अतः हम वैसे ही समय की अभिलाषा रखते हुए ‘रामराज्य’ की इच्छा करते हैं। श्री राम के उस राज्य ने अपनी व्यवस्थाओं और […]
Read Moreमर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम / Maryada Purushotam Shri Ram
Share the bookमर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम / Maryada Purushotam Shri Ram मर्यादा शब्द के भिन्न अर्थ है: १) सीमा, २) प्रतिज्ञा, ३) सदाचार, ४) धर्म, ५) नियम, ६) गौरव श्री राम ने सदा ‘मर्यादा’ का पालन किया, वे ‘मर्यादा’ मे रहे और इसी से वे मर्यादित पुरुषों मे उत्तम “मर्यादा पुरुषोत्तम” राम कहलाए। “श्री राम” […]
Read MoreArsha Granth
Share the bookArsha Granth आर्ष-अनार्ष ग्रंथो में भेद: महर्षि लोगों का आशय, जहाँ तक हो सके, वहाँ तक सुगम और जिसके ग्रहण करने में समय थोडा लगे, इस प्रकार का होता है। और क्षुद्राशय लोगों की मनसा ऐसी होती है, की जहाँ तक बने, वहाँ तक कठिन रचना करनी, जिसको बडे परिश्रम से पढकर अल्प […]
Read Moreहिन्दू: नाम कहाँ से (Hindu: name comes from)
Share the bookहिन्दू: नाम कहाँ से ‘धर्म’शब्द से हम वर्तमान में आस्तिकों (प्रभु में आस्था रखने वाले) द्वारा परमेश्वर के लिए की गई पूजा-पद्धति, आराधना, जीवन-शैली का अनुसरण समझते हैं। धर्म को साधारणत: निर्दिष्ट व्यवहारों व प्रथाओं, नैतिकताओं, विश्वासों, विश्वदृष्टि, ग्रंथों, पवित्र स्थानों, भविष्यवाणियों, नैतिकता की एक सामाजिक-सांस्कृतिक प्रणाली के रूप में परिभाषित किया जाता […]
Read Moreस्वाध्याय से लाभ और न करने से हानि
Share the bookस्वाध्याय से लाभ और न करने से हानि ओ३म् “स्वाध्याय से लाभ और न करने से हानि होती है” ========= मनुष्य शरीर में एकदेशी, अल्प परिमाण, सूक्ष्म व चेतन आत्मा का निवास होता है। चेतन पदार्थ का गुण-धर्म ज्ञान प्राप्ति व ज्ञानानुरूप कर्मों को करके अपनी उन्नति करना होता है। जीवात्मा व मनुष्य […]
Read Moreअंत्येष्टि संस्कार
Share the bookअंत्येष्टि संस्कार सामूहिक सामाजिक चेतना का महत्व किसी देश, समाज के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। समाज और देश की दशा और दिशा निर्धारण में इसका महत्व अतुलनीय है। सामाजिक चेतना का जागरण समाज में कैसे हो इसका एक उपाय यह है कि समाज का प्रत्येक व्यक्ति आत्मसुधार को प्रयासरत हो और इस प्रयास […]
Read Moreदीपावली – रामराज्य की परिकल्पना / Deepawali – Concept of Ram-Rajay
Share the bookदीपावली – रामराज्य की परिकल्पना / Deepawali – Concept of Ram-Rajay दीपावली अर्थात श्री राम की चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात घर-वापसी। प्रजा प्रसन्न है, कि उनके वांछित युवराज का अब राज्याभिषेक हो सकेगा। प्रजा श्री राम के गुणों को जानती थी और ऐसा मानती थी कि श्री राम उन्हें एक अच्छा […]
Read Moreधर्म प्रचार
Share the bookधर्म प्रचार धर्म प्रचार कैसा हो?कैसा प्रचार सफल है? इसका उत्तर जानने से पूर्व हमें यह जानना चाहिए कि जो भौतिक स्वार्थ में लिप्त है उनपर किसी धर्म प्रचार का प्रभाव नहीं पड़ता। इस धरा पर कई ऐसे पतित किन्तु बुद्धिमान लोग हैं जो भौतिक स्वार्थ में इतने मदान्ध हैं कि किसी बात […]
Read Moreआर्ष – अनार्ष निर्णय
Share the bookआर्ष – अनार्ष निर्णय वेद – केवल वेद ही हमारे धर्मग्रन्थ हैं । वेद संसार के प्राचीनतम ग्रन्थ हैं । वेद का ज्ञान सृष्टि के आदि में परमात्मा ने अग्नि , वायु , आदित्य और अंगिरा – इन चार ऋषियों को समाधि की अवस्था में एक साथ दिया था । वेद पढने-सुनने […]
Read More