वेद से बढ़कर संसार में कोई प्राचीन और प्रामाणिक ग्रंथ आजतक उपलब्ध नहीं हुआ है। मनुष्यों के लिये इस्से बढ़कर किसी भाषा या धर्म सम्प्रदाय में ग्रंथ आज तक नहीं पाया गया है। इस विषय में एक सुप्रसिद्ध जर्मन देश के विद्वान् भट्ट मैक्षमूलर साहय यों लिखते हैं’ कि वैदिक संहिता भाव, भाषा, तात्पर्य, रचना, प्रणाली और व्याकरण घटित विलक्षणता की विवेचना कर देखने से मालूम होता है कि संस्कृत भाषा में संसारकी विभिन्नजाति और देश की किसी भाषा में वैदिक संहिता के समान कोई दूसरी पुस्तक नहीं है। यह अलौकिक संस्कृत साहित्य का प्राचीन तम ग्रंथ “ऋग्वेद संहिता” है। यही मनुष्य जाति के हित के लिये पहिला ग्रंथ है। मानवीय सभ्यता का एक मात्र पहिला निदर्शन मनुष्य जाति का प्राचीनतम इतिहास और धर्म विश्वास का प्रथम मार्ग दर्शक है। इस लिये मनुष्य मात्र को यह वेद आदरणीय है। मनुष्य जाति के जिस समय का इतिहास कहीं नहीं पाया जाता है
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Atharvavediy Kaushik Grihsutram – by SHRI THA. UDAYANARAYAN SINGH (श्री था. उदयनारायण सिंह)
अथर्ववेदिय-कौशिक- ग्रह्सूत्रम
Atharvavediy Kaushik Grihsutram – by SHRI THA. UDAYANARAYAN SINGH (श्री था. उदयनारायण सिंह)
₹385.00
Subject : Atharvavediy Kaushik Grihsutram
Edition : 2020
Publishing Year : 2020
SKU # : 37390-HP00-0E
ISBN : 9788170803201
Packing : Hardcover
Pages : 320
Dimensions : 9.0X6.0
Weight : 425
Binding : Hardcover
Description
Additional information
Weight | 425 g |
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Dimensions | 855.5 cm |
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