प्रस्तुत पुस्तक में आत्म-संबंधी पाश्चात्य, पौरसत्य, नवीन, प्राचीन, आस्तिक. नास्तिक सभी विचारों और सिद्धांतों का समालोचन तथा विवेचन किया गया है।
पुस्तक का विषय गहन होने पर भी उसको अधिक सुगम बनाने का यत्न किया गया है जिससे पुस्तक सर्वसाधारण के हाथों में जाने के भी योग्य हो सके । पुस्तक के अंत में असाधारण परिभाषिक शब्दों की एक सूची भी लगा दी गई है जिससे अंग्रेजी भाषाविज्ञ पाठक जान सके कि पुस्तक में प्रयुक्त हिंदी के शब्द किन-किन अंग्रेजी शब्दों के स्थान में काम में आये हैं।
यदि पुस्तक के पाठ से देशवासियों में से कुछ का भी ध्यान आत्म-विषय की ओर हुआ तो लेखक का परिश्रम सफल हो जाएगा।
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