Vedrishi

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आयुर्वेदशास्त्र, ज्योतिषशास्त्र तथा योगशास्त्र का अंतस्सम्बंध

Ayurvedshastra Jyotishshastra Tatha Yogshastra Ka Antssambandh

1,450.00

SKU 37576-AP02-0H Category puneet.trehan
Subject : Ayurvedshastra Jyotishshastra Tatha Yogshastra Ka Antssambandh
Edition : 2020
Publishing Year : 2020
SKU # : 37576-AP02-0H
ISBN : 9788178543802
Packing : Hardcover
Pages : 420
Dimensions : 14X22X6
Weight : 500
Binding : Hardcover
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आयुर्वेदशास्त्र, ज्योतिषशास्त्र तथा योगशास्त्र का अन्तस्सम्बन्ध' नामक ग्रन्थ तीन-तीन शास्त्रों के सिद्धान्तों का अनुशीलन करते हुए प्रतिपादित करता है कि ये तीनों ही शास्त्र यद्यपि अलग-अलग विद्या के हैं, तथापि कहीं न कहीं उनका प्रतिपाद्य ऐसा है जो एक ही धरातल पर अवस्थित प्रतीत होता है। ये तीनों ही शास्त्र अपने-अपने ढंग से समाज में स्थित मानवों और मानवेतरों को भी प्रभावित करते हैं, किन्तु यहाँ विस्तार से यह दिखाया गया है कि किस तरह ये तीनों समाज के लिए न केवल सैद्धान्ति दृष्टि से, अपितु व्यावहारिक और प्रायोगिक दृष्टि से उपयोगी हैं। इन तीनों शास्त्रों के एकत्व का प्रतिपादन करने के लिए लेखक ने आयुवेदशास्त्र को आधार बनाया है। आयुर्वेद अपने आठ अंगों-शल्य, शालाक्य, कायचिकित्सा, भूतविद्या, कौमारभृत्य, अगदतन्त्र, रसायनतन्त्र और वाजीकरण के माध्यम से शरीरस्थित हर प्रकार की व्याधि का वर्गीकरण करता हुआ उनके निदान का मार्ग प्रशस्त करता है। योगशास्त्र में भी यद्यपि योग के आठ अंग- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि हैं, किन्तु आयुर्वेद के अष्टांग वर्गीकरण से इनका कोई साम्य नहीं है, फिर भी यह दर्शन अपने व्यावहारिक रूप के कारण साक्षात् मानवों के कल्याण और उनकी नीरोगिता का प्रतिपादन करता है। इसी तरह ज्योतिषशास्त्र यद्यपि कालविद्यानशास्त्र है फिर भी यह पूरी तरह से मानवों के कल्याणार्थ अपने सिद्धान्तों को व्यवहारिकता से परिपूर्ण करता है। ये तीनों ही शास्त्र अपने-अपने ढंग से समांजस्थित मानवों के कल्याणार्थ दिशा-निर्देशन करते है, किन्तु वे किस तरह एक ही धरातल पर अवस्थिल हैं, यही इस ग्रन्थ का प्रतिपाद्य है जो आज के समाज के लिए परम उपादेय है। 

Weight 800 g

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