Vedrishi

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भगवान शिव की दृष्टि में धर्मं

Bhagwan Shiv ki Drishti men Dharma

250.00

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Subject : Bhagwan Shiv ki Drishti men Dharma
Edition : 2022
Publishing Year : 2022
SKU # : 37604-TV00-0H
ISBN : N/A
Packing : Paperback
Pages : 132
Dimensions : 14X22X4
Weight : 800
Binding : Paperback
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भगवान् महादेव शिव एक ऐतिहासिक महापुरुष थे, जो देव वर्ग में उत्पन्न हुए थे । कैलाश क्षेत्र इनकी राजधानी थी । श्रावणमास के आरम्भ से ही देश व विदेश के शिवालयों में पूजा, कीर्तन, कथाएँ, शिवलिंग की अश्लील पूजा, जो शिवपुराण में वर्णित दारुवन कथा पर आधारित है तथा इस कथा को कोई सभ्य व सुसंस्कृत महिला वा पुरुष सुन भी नहीं सकते हैं, प्रारम्भ हो जाती है । शिवलिंग पर दूध चढ़ाना, जो बहकर नालियों में जाकर पर्यावरण को प्रदूषित करता है, क्या यही सच्ची पूजा का स्वरूप है? आश्चर्य है कि भगवान् शिव के इस अभागे राष्ट्र में जहाँ करोड़ों बच्चे वा बूढ़े भरपेट रोटी के लिए तड़पते हों, उस देश में इस प्रकार से दूध बहाना, क्या उन भूखे नर-नारियों के साथ स्वयं भगवान् शिव का भी अपमान नहीं है? कितने शिवभक्त भगवान् शिव के विमल व दिव्य चरित्र, शौर्य, ईश्वरभक्ति, योगसाधना एवं अद्भुत ज्ञान-विज्ञान से परिचित हैं, यह आप स्वयं आत्मनिरीक्षण करें। भगवान् शिव कैसे थे, उनकी क्या प्रतिभा थी, उनके क्या उपदेश थे, यह जानने-समझने का न तो किसी के पास अवकाश है और न समझ। इस कारण हम एक श्रृंखला के रूप में उनके गम्भीर उपदेशों व ज्ञान-विज्ञान को महाभारत के आधार पर प्रस्तुत करना प्रारम्भ कर रहे हैं । यह वर्णन भीष्म पितामह के उन उपदेशों में मिलता है, जो उन्होंने शर- शय्या पर धर्मराज युधिष्ठिर को दिए थे । आज यह बड़ी विडम्बना है कि पौराणिक (कथित सनातनी) भाइयों ने भगवत्पाद महादेव शिव को अत्यन्त अश्लील, चमत्कारी व काल्पनिक रूप में चित्रित किया है, जबकि आर्यसमाजी बन्धुओं ने मानो उन्हें कचरे पात्र में फेंक दिया है। ऐसे में उनका यथार्थ चित्रण संसार के सम्मुख नितान्त ओझल हो गया है ।

Weight 250 g

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