लेखक ने इस पुस्तक में भारत की संस्कृति के जीवन की गाथा सुनाने का यत्न किया है। भारत युग-युगांतरों के परिवर्तनों, क्रातियों और तूफानों में से निकलकर आज भी उसी संस्कृति का वेश धारण किए विरोधी शक्तियों की चुनौतियों का उत्तर दे रहा है।
यद्यपि सदियों से काल चक्र हमारा शत्रु रहा है, तो भी हमारी हस्ती नहीं मिटी। इसकी तह में कोई बात है, वह बात क्या है? लेखक ने इन प्रश्नों का उत्तर देने का यत्न किया है।
यदि अतीत का अनुभव भविष्य का सूचक हो सकता है तो हमें आशा रखनी चाहिए की भविष्य में में जो भी अधड़ आयेंगे वह हमारी संस्कृति की हस्ती को न मिटा सकेंगे।
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