पुस्तक का नाम – बुढा़पे से जवानी की ओर
लेखक का नाम – ड़ॉ. सत्यव्रत सिद्धान्तालंकार
संसार में कई मनुष्य है जो कि 75, 90 वर्ष की उम्र पर पहुंच जाते हैं किन्तु उनके शरीर में ऊर्जा बनी रहती है तथा चेहरे पर झुर्रियों का संकेत भी नहीं रहता है। इसके कई उदाहरण है जैसे –
फ्रांस में एक महिला जिनका नाम मदाम डि लेनक्लोस निनोन था। वे 91 वर्ष तक जीवित रहीं और उनके शरीर पर झुर्रियों नही पड़ी थी। इसी प्रकार बेनेट जो कि सैन फ्रांसिस्को के थे वे जब 50 साल के थे और जब 70 साल के हुए तब उन्हे देखकर ऐसा लगता था कि वे बुढापे से युवावस्था की ओर आ रहे हैं अर्थात् वे जितने युवा 50 साल में दिखते थे उससे ज्यादा युवा वे 70 साल की उम्र में थे। इस रहस्य पर उन्होनें एक पुस्तक लिखी जिसका नाम Old Agr – Its Causes and Preventionpn था। यह पु्स्तक अब अप्राप्य है किन्तु लेखक ने इस पुस्तक को प्राप्त करके इसके ही आधार पर प्रस्तुत पुस्तक की रचना की।
प्रस्तुत पुस्तक में बुढ़ापे में आने वाली समस्याओं और उनके उपचार की होम्योपैथी पद्धतियों का वर्णन किया है।
इस पुस्तक में नित्य दिनचर्या के विषय में वर्णन किया है।
पुस्तक में वृद्धावस्था में किये जाने वाले सूक्ष्म व्यायामों और आसनों का वर्णन किया गया है जिससे शरीर की सुन्दरता बनी रहती है और बुढ़ापा रूक जाता है।
इस पुस्तक का अध्ययन वृद्ध व्यक्तियों के लिये जितना लाभप्रद है उससे ज्यादा उन व्यक्तियों को लिए उपयोगी है जो अभी वृद्धावस्था में नहीं पहुँचे हैं।
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