पुस्तक का नाम – चाणक्य नीति दर्पण
लेखक – स्वामी जगदीश्वरानन्द सरस्वती जी
चाणक्य का साहित्य मुख्यत: भारत में राजनीति, अर्थनीति के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन चाणक्य नीति में व्यवहार नीति अधिक प्रचलित है। यही कारण है कि जनसाधारण के लिए अपने जीवन में क्या व्यवहार करना चाहिए इसके लिए यह महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। चाणक्य द्वारा अर्थशास्त्र के अलावा अन्य ग्रन्थ भी लिखे गये है –
वृद्ध चाणक्य –इसमें आठ अध्याय और १२४ श्लोक है।
चाणक्य सार संग्रह – इसमें तीन शतकों में तीन सौ श्लोक है।
लघु चाणक्य –इसमें आठ अध्याय और ९१ श्लोक है।
चाणक्य राजनीति शास्त्रम् –इसमें आठ अध्याय और ५१२ श्लोक है।
इस तरह चाणक्य ने राजनीति, व्यवहारिक नीति, अर्थशास्त्रों पर अपने सिद्धांतों को लिपियांतर किया। चाणक्य नीति पर वैसे अनेकों अनुवाद लिखे जा चुके है लेकिन यह उन सबमे से विशिष्ट है। इसकी कुछ विशेषताए इस प्रकार है –
१ अत्यंत शुद्ध मूलपाठ
२ महत्वपूर्ण पाद भेदों को पाद टिप्पणी में दर्शाया है। जहां पाठभेद के कारण श्लोक के अर्थ में अंतर पड़ता था उसे भी दर्शाया है।
३ प्रत्येक श्लोक का शब्दार्थ दिया है।
४ विस्तृत शब्दार्थ देने के बाद भावार्थ दिया है।
५ प्राय सभी श्लोकों पर विमर्श दिया है, जिसमें वेद, उपनिषद, महाभारत, पुराणों के अनेक उदाहरण दिए हैं।
६ अकार आदि क्रम से श्लोको की सूचि सर्वप्रथम ग्रन्थ में ही दी गयी है।
७ विमर्श में दिए गये वेद मन्त्र आदि अन्य ग्रंथों के उदाहरणों की भी अनुक्रमणि दी गयी है।
८ चाणक्य नीति पर अब तक इतना विस्तृत भाष्य कही पर भी प्रकाशित नही हुआ है।
आशा है पाठक इस ग्रन्थ से अवश्य ही लभान्वित होंगे।
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