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चाणक्य-सूत्र

Chankya Sutra

90.00

SKU 37438-DP00-0H Category puneet.trehan

Out of stock

Subject : Chankya  Sutra
Edition : 2016
Publishing Year : N/A
SKU # : 37438-DP00-0H
ISBN : 9789385721083
Packing : N/A
Pages : 143
Dimensions : 8.0 INCH X 5.0 INCH
Weight : NULL
Binding : PAPERBACK
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आचार्य चाणक्य भारतीय इतिहास की अनुपम विभूति थे l ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में यूनान के राजा सिकंदर ने तथा उसके सेनापति सेल्यूकस ने कुछ देशविद्रोहियों की सहायता से भारतवर्ष पर आक्रमण किया था l तब तक्षशिला विश्वविद्यालय में दण्डनीति (राजनीति) के महान आचार्य चाणक्य ने अपने शिष्य चन्द्रगुप्त के नेतत्व में सैन्यशक्ति संगठित कर विदेशी आक्रान्ताओं को बुरी तरह परास्त किया था l भविष्य में कोई विदेशी आक्रांता भारत की और आंख उठाकर न देख  सकें, इसीलिए क्रान्तदर्शी आचार्य ने भारतवर्ष के वर्ष सभी गणराज्यों को चन्द्रगुप्त के नेतृत्व में संगठित कर इस देश को अखण्ड एवं शक्तिसंपन्न भारत राष्ट्र का रूप दिया था l

हिमालय से समुद्र पर्यन्त भारत एक चक्रवर्ती साम्राज्य का क्षेत्र हैं, इस प्राचीन अवधारणा को गणराज्यों के काल में भी चाणक्य ने प्रतिष्ठापित किया और इस दिशा में विशेष सफलता प्राप्त की l उन्होंने सम्राट चन्द्रगुप्त के रूप में देश को एक आदर्श शासक दिया और कौटिल्य अर्थशास्त्र के रूप में युगानुरूप आदर्श शासन व्यवस्था भी दी l

विदेशी आक्रान्ताओं द्वारा भारत को पददलित कर देने पर संस्कृति और साहित्य पर बड़ा आघात हुआ था l ऐसे उथल-पुथल के समय में कौटिल्य का अर्थशास्त्र भी लुप्तप्राय (गुमनाम-सा) हो गया था l सन् १९०५ ई . में तज्मोर (तमिलनाडु) के एक अज्ञातनामा ब्राह्मण ने कौटिल्य अर्थशास्त्र की एक हस्तलिखित तालपत्रीय प्रतिलिपि मैसुर के राजकीय प्राच्य ग्रंथालय को भेंट में दी l ग्रंथालय के तत्कालीन अध्यक्ष श्री शामशास्त्री ने उसका सुक्ष्म अवलोकन किया और यथासम्भव शोधन कर १९०९ ई. में प्रथम बार प्रकाशन किया l इस ग्रन्थ में वर्णित आर्थिक, सामाजिक, राजनितिक, प्राशासनिक एवं न्यायव्यवस्था सम्बन्धी विचार में भारत के साथ-साथ विकसित माने जाने वाली राष्ट्रों में हलचल मचा दी, क्योंकि इन तथ्यों से अभी तक लोग अनभिज्ञ थे l जर्मनी, अमेरिका, इंग्लैंड, पूर्व सोवियत संघ आदि राष्ट्रों में इस ग्रन्थ का मंथन कर इसके प्रत्येक पक्ष पर अनेक विवेचनात्मक ग्रन्थ लिखे हैं l फ्लीट, जौली आदि विद्वानों ने इसे अत्यंत महत्त्वपूर्व बताया और इसकी महती उपादेयता पर प्रकाश डाला l

Weight 160 g

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