वातजन्य विकारों में खिग्ध और उप्ण, पित्तजन्य विकारों में मधुर और शीतक, कफजन्य विकारों में रूक्ष और उष्ण, भातुक्षयजन्य विकारों में मांसरस का अनुपान श्रेष्ठ होता है। उपवास किए हुए व्यक्तियों के लिए, रास्ते चलने से श्रान्त, अधिक बोलने से आान्त, अधिक मैथुन करने से आन्त, मारुत (आँधी) से श्रान्त, धूप से आन्त और अन्य क्रूरकर्मों से आन्त व्यक्तियों के लिए दूध अनुपान में अमृत के समान श्रेष्ठ होता है। कृश व्यक्तियों की पुष्टि के लिए सुरा का अनुपान उत्तम होता है। स्थूल व्यक्तियों को कृश बनाने के लिए मधु और जल का अनुपान उत्तम होता है। मन्दाग्नि से पीड़ित, अनिद्रा, तन्द्रा, शोक, भय और कुम से पीड़ित व्यक्तियों के लिए और जिन लोगों को मद्य और मांस-सेवन का अभ्यास है उन लोगों के लिए मह का अनुपान श्रेष्ठ माना गया है ॥ ३२१-३२४ ॥
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Charak Samhita (set of 2 Vol.) – by PT Kashinath Pandey Shastri (पं. काशीनाथ पांडे शास्त्री)
चरक संहिता (2 भाग)
Charak Samhita (set of 2 Vol.) – by PT Kashinath Pandey Shastri (पं. काशीनाथ पांडे शास्त्री)
₹1,100.00
Subject : Charak Samhita (set of 2 Vol.), चरक संहिता (2 भाग)
Edition : 2021
Publishing Year : 2021
SKU # : 37835-CP00-0E
ISBN : 9788189798550
Packing : 2 Vol.
Pages : 2045
Dimensions : 14X22X10
Weight : 2160
Binding : Hard Cover
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