महर्षि दयानन्द सरस्वती आध्यात्मिक गुरु थे। अपने जीवनकाल में उन्होंने अनेक शास्त्रार्थ किये और सहस्रों व्याख्यान दिये।
अपने वेद-प्रतिपादित विचारों को स्थायी रूप देने के लिए उन्होंने वेदों का भाष्य किया। जहाँ उन्होंने कालजयी सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादि भाष्यभूमिका और संस्कार विधि जैसे बड़े-बड़े ग्रन्थों की रचना की, वहाँ कुछ अत्यन्त महत्वपूर्ण छोटे-छोटे ग्रन्थ भी लिखे। सत्यार्थप्रकाश आदि का जितना प्रचार हुआ, उतना उनके लघुग्रन्थों का प्रचार नहीं हुआ।
लघुग्रन्थों का व्यापक प्रचार करने के लिए ‘दयानन्द लघुग्रन्थ संग्रह’ में हम पाँच महत्वपूर्ण ग्रन्थ प्रकाशित कर रहे हैं। इसमें सम्मिलित हैं महर्षि के पांच लघु ग्रन्थ-पंचमहायज्ञविधिः, आर्याभिविनय, आर्योद्देश्यरत्नमाला, व्यवहारभानु व गोकरुणानिधि । – स्वामी जगदीश्वरानन्द सरस्वती
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