महाभारत जितना वृहद और महान ग्रन्थ है, इसके बारे में लोक में उतना ही बड़ा और महानतम अन्धविश्वास अनजाने काल से व्याप्त है। यह कि महाभारत को घर में रखना अशुभ और अमंगलकारी है। ऐसा करने से भाइयों के बीच लड़ाई हो जाती है। इसलिए कि इस महाकाव्य की कथा के मूल में राज्य और धन के लिए भाइयों के बीच युद्ध का वर्णन जो है। यही कारण है कि हिन्दू घरों में रामायण, श्रीमद्भागवत, शिवपुराण, और श्रीमद्भागवतगीता तो रखे, पढ़े, सुने और सुनाए जाते हैं किन्तु महाभारत का अध्ययन-श्रवण तो दूर उसकी पोथियाँ रखने तक से आस्थावान हिन्दू समाज कतराता है। लोग इसकी कथा और पात्रों के प्रति जिज्ञासु हैं और इनके समाधान के लिए समय-समय पर महाभारत कथा पर आधारित स्वतन्त्र पुस्तकों, काव्य, नाटक, कथाओं और लेख संकलनों को पढ़ते हैं, टीवी पर धारावाहिकों को बड़े चाव से देखते और उनकी परस्पर चर्चा भी करते हैं लेकिन अन्य धर्मग्रन्थों की तरह घर में इसका पारायण प्रायः निषेध-सा है। इतना कि कतिपय गुणीजनों को छोड़ पुस्तकों के परम् प्रेमी और घरों में अपना निजी पुस्तकालय रखने वालों ने भी इससे दूरी बना रखी है। परिणामस्वरूप मूल महाभारत की प्रति कुछेक समृद्ध पुस्तकालयों को छोड़ अन्यत्र नहीं के बराबर सुलभ होती है।
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Dropadi ke man ka Panchva Tukda – by Dr Vivek Chaurasiya (डॉ विवेक चौरसिया )
द्रोपदी के मन का पांचवा टुकड़ा
Dropadi ke man ka Panchva Tukda – by Dr Vivek Chaurasiya (डॉ विवेक चौरसिया )
₹180.00
Subject : dropadi, mahabharat, yuddha, tukda vivek
Edition : 2021
Publishing Year : 2021
SKU # : 37161-HS00-0H
ISBN : 9788194436799
Packing : Paperback
Pages : 208
Dimensions : 14X22X2
Weight : 238
Binding : Paperback
Description
Additional information
Weight | 238 g |
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