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जीवन दर्शन

jeevan darshan

395.00

SKU field_64eda13e688c9 Category Rishi Dev
By : VED PRAKASH
Edition : 2023
Publishing Year : 2023
SKU # : #N/A
ISBN : 9788196440008
Packing : HARDCOVER
Pages : 294
Weight : 610
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मानव जीवन क्या है? इसका उद्देश्य क्या है? इसका आधार क्या है व इसके अवयव क्या-२ हैं? क्या वर्तमान जीवन के पूर्व भी इसका अस्तित्व धा? या इस जीवन के पश्चात् भी कोई कुछ शेष रहता है? ऐसे अनेक प्रश्न प्रत्येक विचारशील मनुष्य को व्यथित करते रहते हैं। इस विषय में अनेक सिद्धांत व विभिन्न धारणाएँ भी प्रचलित है। कुछ लोग पुनर्जन्म मानते हैं, जबकि कुछ अन्य, जीवन को एकांकी मानते है। कुछ जीव का अस्तित्व मानते हैं, कुछ नहीं मानते। कुछ जीव की पृथक् सत्ता को स्वीकार नहीं करते, बल्कि इसे ईश्वर का ही अंश मानते है। आधुनिक विज्ञान से कुछ ज्यादा ही अभिभूत स्वयं-घोषित बुद्धिजीवी इसके प्रमाण उपलब्ध न होने का हवाला देकर, इस विषय को ही निरर्थक ठहरा देते हैं। यद्यपि जीवन के विषय में प्रचलित सभी धारणाओं की गणना व समन्वय कर पाना कठिन है, किन्तु जीवन का होना तो निश्चित व असंग्दिग्ध है, क्योंकि सभी लोग इसका भोग कर रहे है। प्रत्येक मनुष्य द्वारा जीवन में सुख-दुःख की अनुभूति होना इसके होने का अकाट्य प्रमाण है। कई सारे भारतीय दर्शनों का तो केंद्र-बिन्दु ही जीवन में दुःख का होना व इसके कारणों का चिंतन ही है।

लेखक ने अपनी पुस्तक में इन्ही सूक्ष्म दार्शनिक प्रश्नों को चर्चा का विषय बनाया है और इसका तर्कसंगत समाधान प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। जीवन स्वयं कोई निरपेक्ष वस्तु नहीं है, बल्कि सापेक्ष है अर्थात् यह अनेक बाह्य घटकों, कारणों व परिस्थितियों पर निर्भर रहता है। इसलिए इन बाह्य घटकों, कारणों व परिस्थितियों का विचार किये बिना जीवन को समझना असंभव है।

जीवन का आधार जीव है, जो किसी शरीर में निश्चित अवधि तक रहकर अपने कर्म व भोग पूरा करता है। जन्म से लेकर मृत्यु के मध्य, जीव के इसी शरीर प्रवास को जीवन कहते हैं। जैसे किसी भी वस्तु की समीक्षा करने के लिए उसके परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखना आवश्यक होता है, ठीक उसी प्रकार जीवन को समझने के लिए भी इसके परिप्रेक्ष्य को भी समझना पड़ेगा।

Weight 610 g

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