धर्म और मोक्ष में आर्य जनों की बड़ी रुचि है। कर्त्तव्य पालन धर्म का आधार है और मोक्ष का द्वार है। इस प्रकार कर्त्तव्य पालन की ही प्रधानता रहती है।
कर्तव्यों का स्पष्ट मार्ग दिखाने वाली यह पुस्तक विशेष मान्य है। इसीलिए आर्य जगत् ने ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के बाद दूसरे नम्बर पर श्री महात्मा नारायण स्वामी जी के ‘कर्त्तव्य-दर्पण’ को स्थान दिया हुआ है।
पाठकगण श्रद्धापूर्वक और बुद्धिपूर्वक इसमें लिखे निर्देशों को अपने जीवन में लाने का यत्न करके अपने मनोरथ का सिद्धि कर पायेगे ।
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