ऋषि दयानन्द के पत्र-व्यवहार मानव समाज की अमूल्य सम्पदा हैं। इनका विस्तृत अध्ययन किए बिना ऋषि दयानन्द का सम्पूर्ण जीवन चरित्र व आर्यसमाज का इतिहास लिखा ही नहीं जा सकता।
यह बेजोड़ ग्रन्थ इतिहास की कई गुत्थियों को सुलझाने वाला ग्रन्थ है। इस पत्र-व्यवहार को क्रमबद्ध कर सम्पादन करने में महात्मा मुंशीराम जी ने अत्यन्त साहस, घोर श्रम, असीम श्रद्धा, विद्वता तथा सूझबूझ का परिचय दिया है। इस पत्र-व्यवहार में महात्मा मुंशीराम जी ने प्रत्येक प्रेरक प्रसंग को मुखरित कर दिया है। स्वामी श्रद्धानन्द जी ने इस ग्रन्थ का सृजन करके आर्यसमाज पर बड़ा उपकार किया है। आशा है धर्मप्रेमी जनता इस पत्र-व्यवहार के पुनः प्रकाशन के इस महान् यज्ञ में सहयोग करेगी।
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