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मानव धर्म शास्त्र का सार

Manav Dharma Shastra ka Saar

200.00

SKU 36992-HS00-0H Category puneet.trehan

In stock

Subject : Shlokas Collection of Manusamriti
Edition : N/A
Publishing Year : N/A
SKU # : 36992-HS00-0H
ISBN : N/A
Packing : Hardcover
Pages : N/A
Dimensions : N/A
Weight : 795
Binding : Paperback
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पुस्तक का नाम मानव धर्म शास्त्र का सार

लेखक का नाम पण्डित भीमसेन शर्मा

 मनुस्मृति की मानव जन समुदाय के लिए उपयोगिता एवं महत्ता के विषय में अधिक कुछ कहने की आवश्यकता नहीं लगती, क्योंकि न हि कस्तूरिकामोदः शपथेन विभाव्यतेक्या कभी विशुद्ध कस्तूरी आदि तीव्र सुगन्धित पदार्थों की गन्ध को शपथपूर्वक बताया जाता है कि मैं शपथपूर्वक कहता हूँ कि इस कस्तूरी में गन्ध है। यदि उसमें गन्ध है तो वह स्वयमेव आती ही है, उसमें कहने की क्या आवश्यकता है। इसी तरह मनुस्मृति अपने निर्माणकाल से लेकर आजतक सभी धर्मग्रन्थों में मुकुटमणि सदृश स्थान रखते हुए सर्वजन स्वीकार्य रही है। इस ग्रन्थ को सिद्ध कराने के लिए ही अपने वचनों को इस ग्रन्थ में प्रक्षिप्त करके मनु द्वारा कहलवाने का कुत्सित प्रयास किया है। प्रस्तुत ग्रन्थ के सूक्ष्म अध्ययन से स्पष्ट होता है कि पण्डित जी की वैदिक ग्रन्थों एवं आर्य-सिद्धान्तों के साथ-साथ लोक-व्यवहार में भी गहरी पैठ थी। इस ग्रन्थ में प्रक्षिप्त श्लोकों के साथ-साथ लगभग तैतालीस विषयों पर विशद विचार किया है। ये विषय लगभग ऐसे हैं जिन पर जनसामान्य ही नहीं अपितु बहुत से विद्वानों में भी अनेक विवाद एवं सन्देह रहते हैं। सभी विषयों पर वैदिक वाङ्मय और आर्य सिद्धान्तों को ही केन्द्र में रखकर विचार किया है। विषयों में ब्रह्मा, मनु, धर्म, सृष्टि, सांस्कृतिक, नियोग, श्राद्ध-तर्पण, देव-पितर, पिण्डदान, अनध्याय, दान, मुर्तिपूजा, भक्ष्याभक्ष्य, सूतक एवं द्रव्य शुद्धि, वर्णाश्रम-व्यवस्था, दायभाग, सपिण्डा, वर्णसङ्कर, आपद्धर्म, प्रायश्चित, कर्मफल एवं मुक्ति आदि प्रमुख हैं। जहां मनुस्मृति के अध्यायक्रम से आये विषयों पर विचार किया है वहीं अनुषङ्गतः भी अनेक विषय गम्भीर रूप से विचारित हुए हैं। प्रत्येक अध्याय में श्लोकों की मनुस्मृति के अन्तःसाक्ष्यों एवं वैदिक वाङ्मय के परिप्रेक्ष्य में परीक्षा करके युक्तियुक्तता सिद्ध कर प्रक्षिप्त श्लोकों का युक्तिपूर्वक पृथक्करण किया गया है। ग्रन्थ की उपयोगिता एवं संस्कृत से अनभिज्ञ जनसामान्य को ध्यान में रखकर यहाँ इसका केवल हिन्दी अनुवाद ही रखा गया है। आशा है कि जनसामान्य में इस ग्रन्थ को पढ़ने से सत्प्रेरणा उत्पन्न होगी।

Dimensions 14224 cm

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