प्रकट हो कि यह मत्स्यपुराण जिसको श्री भगवान् मत्स्यावतार नारायण ने सूर्य के पुत्र राजा मनु से चराचर जगत् को रचना, उत्पत्ति तथा नाश आदि के नाना इतिहास और शिवजी महाराज में भैरवरूप त्रिपुर दैत्य से शत्रुता और कपालों के धारण करने का कारण वर्णन किया है और मनुजी ने जैसे तपस्या करके यह वर मांगा है कि मैं प्रलयकाल होने के समय सब प्रकार के स्वावर, जंगम जीवों की रक्षा के निमित्त समर्थ होकर परिपूर्ण हो जाऊँ, इसका भी वर्णन है और जैसे मत्स्यावतार की उत्पत्ति हुई और राजा मनु ने जैसे- जैसे वह बड़ी होती गई उसो-उसी प्रकार से उसको बड़े नद आदि से लेकर समुद्र में धारण किया उसका भी क्रमवार वर्णन है। तात्पर्य यह है कि हजारों इतिहास ऋषियों की उत्पत्ति, मन्वन्तरों का समय, संख्या और अनेक राजनोति मंत्र-यंत्र-तन्त्र और अद्भुत अद्भुत औषधी आदि का वर्णन है। इसकी संपूर्ण व्यवस्था तो क्रमपूर्वक देखने से ही विदित होगी। यह थोड़ा सा वृत्तान्त लिखा है। इस बड़े अद्भुत पुराण को सबके उपकारार्थ यथातथ्य श्लोक का भाषानुवाद करवाकर संस्कृत मूल और भाषा टीका संयुक्त बडी सावधानी और शुद्धतापूर्वक छपवाया गया है जिसके पढ़ने से भाषामात्र के भी जानने वाले अच्छी रीति से इस पुराण के प्रत्येक श्लोक का अर्थ उत्तम प्रकार से समझ सकते हैं और पुराण बांचने वालों का तो ऐसा प्रयोजन निकलेगा कि बिना परिश्रम पाठमात्र का भी ज्ञाता होकर सब पुराण बांच सकता है। आशा है कि सब धर्म के ज्ञाता इसको अपने धर्म के जानने के निमित्त बड़ी शीघ्रता से हाथों-हाथ लेकर परिश्रम को सफल करेंगे।
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Matsyapuranam
मत्स्यपुराणम्
Matsyapuranam
₹1,000.00
Author: Multi Authors (बहु लेखक)
By : पण्डित बस्तीरामजी
Subject : puran
Edition : 2021
Publishing Year : 2021
Packing : Hard Cover
Pages : 1020
Dimensions : 20X25X4
Weight : 1965
Binding : Hard Cover
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