कोई व्यक्ति बुरी राहों पर चल कर भी यदि जीवन को सुधारने का प्रबल सकल्प कर ले तो वह कल्याण मार्ग का पथिक बन सकता है। इस उक्ति को चरितार्थ करने वाले स्वामी श्रद्धानंद जी का यह जीवन वृतांत उन्हीं के सुयोग्य पुत्र द्वारा लिखित, अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्वामी जी के आदर्श जीवन को प्रस्तुत करते हुए पडित इंद्र विद्यावाचस्पति जी के यह भावपूर्ण संस्मरण स्वामी जी की याद को सदैव जीवित रखेंगे।
यदि भारत को महान् राष्ट्र बनाना है तो देश के विश्वकर्माओं का संस्मरण सुए जमाने के सामने लाना ही होगा। स्वामी श्रद्धानंद जी का जीवन, विचार और कार्य इस पुस्तक के माध्यम से देश-विदेश में और अधिक तीव्रता से प्रसारित होकर सभी को प्रेरित करें यही इस पुस्तक के प्रकाशन का उद्देश्य है।
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