संसार में जो जन्मा है उसकी मृत्यु भी निश्चित है। साथ ही जो मरता है उसका पुनः जन्म भी अनिवार्य है। कौनसा ऐसा घर है जहाँ मृत्यु की काली छाया के कदम नहीं पड़े? अतः मृत्यु से मत घबराइए।
प्रस्तुत पुस्तक के विद्वान् लेखक से अनेक बार अनुरोध किया गया की ऐसी पुस्तक लिखें जिसे पढ़कर, पढ़ने वाले शान्ति प्राप्त किया करें जब परिवार में दुर्भाग्य से मृत्यु होने से दुःखों में फंसे होते हैं।
मरने के बाद क्या होता है, इसे ईश्वर या मरने वाले के अतिरिक्त तीसरा कोई नहीं जान सकता। इस पर अनेक मत हैं, परन्तु इन सबमें वही सिद्धान्त अधिक मान्य हो सकता है जो अधिक से अधिक मनुष्यों को ग्राह्य हो और बुद्धिपूर्वक जान पड़े।
बस इसी बात को दृष्टि में रखकर इस पुस्तक के पढ़ने से किसी को भी निराशा नहीं होगी। पुस्तक में अन्य भी अनेक सिद्धान्तों पर प्रसंगवश विचार किया गया है, जिनपर अनुकूल दृष्टिकोण रखने से प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में शान्ति का संचार होगा।
हर घर में शोक की घटना घटती है। अपने इष्ट मित्रों के घरों या किसी भी दुःखी परिवार में इस पुस्तक को उपहार स्वरूप दीजिए।
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