वर्तमान काल में रोग नि़दान के लिए अनेको उपकरण और परीक्षण प्रणालियों का आविष्कार हुआ है। ये उपकरण और परीक्षण प्रणालियाँ इतनी महँगी है कि साधारण जन उनसे लाभ नहीं उठा पाता। प्राचीन काल में भारतीय मनीषियों ने दोष, धातु मलों के आधार पर रोग निदान की ऐसी निर्दोष प्रणाली को विकसित किया था जो न द्रव्य साध्य है, न ही समय साध्य। उस प्रणाली का नाम है – नाड़ी विज्ञान अर्थात् रोगी के हाथों की नाड़ी का स्पंदन अनुभव कर रोग को पहचान लेना। आधुनिक युग के महान तपस्वी और निर्लोभ विद्वान पं. सत्यदेव वासिष्ठ ने नाड़ी–विज्ञान में प्रवीणता प्राप्त की है। उन्होने इस कला का चरम उत्कर्ष रहस्य प्रस्तुत् ग्रंथ में उद्घाटित किया है। उन्होने अपने ज्ञान और विस्तृत परीक्षण के आधार पर ग्रन्थ में रावणकृत ‘नाड़ी-परीक्षा’ ग्रन्थ की प्रामाणिक व्याख्या और ‘कणाद नाड़ी’ तथा ‘वसवराजीस नाड़ी’ के सम्पूर्ण श्लोकों को प्रकृत ग्रंथ में संगृहीत कर के ग्रन्थ को परिपूर्ण एवं प्रमाणिक बनाया है।
Free Shipping Above ₹1500 On All Books |
Minimum ₹500 Off On Shopping Above ₹10,000 |
Minimum ₹2500 Off On Shopping Above ₹25,000 |
Free Shipping Above ₹1500 On All Books |
Minimum ₹500 Off On Shopping Above ₹10,000 |
Minimum ₹2500 Off On Shopping Above ₹25,000 |
Nadi-Tattva-Darshanam
नाड़ी-तत्त्व-दर्शनम्
Nadi-Tattva-Darshanam
₹350.00
Subject : Ayurveda
Edition : 2019
Publishing Year : 2019
SKU # : 36878-PP00-0H
ISBN : N/A
Packing : HardCover
Pages : 360
Dimensions : 14X22X6
Weight : 649
Binding : HardCover
Reviews
There are no reviews yet.