पुस्तक का नाम – निघण्टु – निर्वचन – मीमांसा
लेखक का नाम – विश्वबन्धु
लौकिक और वैदिक शब्दों में मुख्य अन्तर यह है कि वैदिक शब्द अनेकार्थ वाची होने के कारण यौगिक है क्योंकि इनमें सीमित शब्दों में मनुष्यों के लिए आवश्यक सभी विद्याओं का मूल दिया गया है किन्तु लौकिक शब्दों में ऐसा नही होता है, इसीलिये लौकिक शब्दों को रूढ़ कहा जाता हैं।
वेदों के शब्दों के यौगिक होने के कारण वैदिक शब्दों के निर्वचन की आवश्यकता होती हैं। निर्वचन के आधार पर शब्दों के अर्थों को अन्वाख्यात किया जाता है तथा उस अन्वाख्यात अर्थ का प्रयोग मन्त्रों में किया जाता है, जिससे वेदों के तात्पर्य को समझा जा सकता है। इस कारण वैदिक ऋषियों ने निघण्टु और उसका व्याख्यान निरुक्त इन नामों के पूर्वकाल में विविध ग्रन्थों की रचना की थी। वर्तमान समय में आचार्य यास्क का निघण्टु और निरूक्त प्रचलित है। जिसमें वैदिक शब्दों का संग्रह कर उनका वैदिक मन्त्रों के उदाहरणों द्वारा निर्वचन किया गया हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में निघण्टु – निर्वचनों में एकार्थक पदों की अर्थ समीक्षा की गई है। उन अर्थों के सिद्धान्त तथा अनुप्रयोगों को प्रस्तुत किया गया है। जिससे निर्वचन शास्त्र के तलस्पर्शी शोधार्थियों के लिए आवश्यक अध्ययन सामग्री इस पुस्तक के माध्यम से उपलब्ध हो सके।
पुस्तक में विषयवस्तु के अनुसार प्रथम अध्याय में निरुक्त शास्त्र का प्रयोजन तथा निरूक्त और व्याकरण में अन्तर स्पष्ट किया गया है जिससे पाठकों को निरूक्त शास्त्र के अध्ययन का प्रयोजन स्पष्ट हो जाता है।
इसी अध्याय में पं. सत्यव्रतसामश्रमी जी की निघण्टु और निरूक्त के ग्रन्थैक्य के विषय में विसम्मति को प्रस्तुत किया है।
द्वितीय अध्याय में निरुक्त के टीकाकार स्कन्द स्वामी के निर्वचन – शास्त्र में विधेय – प्रतिपादन के प्रयास की समीक्षा की गई है। आख्यातपदों के अर्थ – विश्लेषण में व्याकरण शास्त्र की उपादेयता को प्रस्तुत किया है। निर्वचन में ध्वनि – साम्य तथा अर्थ साम्य की उपादेयता को रखा गया है जिससे निर्वचन में ध्वनि और अर्थों के महत्त्व पर पर्याप्त विश्लेषण प्रस्तुत होता है।
तृतीय अध्याय में पृथिवी वाचक 21 नामपदों की अर्थ समीक्षा को प्रस्तुत किया गया है जिसमें पृथ्वी के लिए वेदों में आये विभिन्न शब्दों को सोदाहरण रख कर उन विभिन्न शब्दों के महत्त्व और अर्थ विशेषताओं को ससमीक्षा प्रस्तुत किया गया है।
यह ग्रन्थ निर्वचन शास्त्र के शोधार्थियों और निरुक्त के अध्येताओं के लिए विशेष उपयोगी सिद्ध होगा।
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