पिंगल कृत छन्द: सूत्रम्
अनुवाद डा. कपिलदेव द्विवेदी
प्रस्तुत ग्रन्थ आचार्य पिंगल द्वारा कृत “छन्दशास्त्र” है। इसका हिंदी अनुवाद डा. कपिलदेव द्विवेदी और साथ ही इसी पुस्तक में अंग्रेजी अनुवाद डा. श्यामलाल सिंह जी ने किया है।
छंदों का महत्व बताते हुये आचार्य पाणिनी (आचार्य पिंगल के ज्येष्ठ भ्राता) ने पाणिनीय शिक्षा में छ: वेदांगों का उल्लेख किया है – शिक्षा , छन्द , निरुक्त , ज्योतिष और कल्प। ये शब्दरूपी वेद-ब्रम्ह के शरीर के अंग हैं।इनसे वेदार्थ का ठीक-ठीक ज्ञान होता है।इनमें से छन्द को वेद-ब्रह्म का पैर माना जाता है। वेदों की स्थिति पद्यात्मक मंत्रों पर है।
छन्द: पादौ तु वेदस्य हस्तौ कल्पोथ पठ्यते
ज्योतिषामयनं चक्षुर्निरुक्तं श्रोत्रमुच्यते ।
शिक्षा घ्राणं तु वेदस्य मुखं व्याकरणं स्मृतम्
1. शिक्षा – वेदस्य वर्णोच्चारणप्रकिया ।
2. व्याकरणम् – शब्दनिर्माणप्रक्रिया ।
3. ज्योतिषम् – कालनिर्धारणम् ।
4. निरुक्तम् – शब्दव्युत्पत्ति: ।
5. कल्पः – यज्ञवेदीनिर्माणप्रक्रिया ।
6. छन्दः – छन्दज्ञानम् ।
– पा.शिक्षा 41
छन्दों के प्रमुख लाभ हैं :
1. छन्द भावों को सूक्ष्म रूप देते हुये पद्यात्मक बनाता है।
2. छन्द गेय होते हैं। सरलता से स्मरण होते हैं।
3. छन्दों में अनावश्यक विस्तार न होकर सूत्र रूप में बात कही जाती है।
4. छन्दों में मधुरता है,आकर्षण है,संगीतात्मकता और स्थायित्व है
5. छन्द काव्य को स्थायित्व देते हैं , गद्य नहीं।
6. छन्दोरचना प्रतिभा का प्रकाशन है।
ऐतरेय ब्राह्मण में छन्द शास्त्र का प्रारम्भ होता है। आचार्य पिंगल प्रारम्भ के आचार्यों में हैं। पिंगल का छन्द: सूत्र वैदिक और लौकिक दोनों प्रकार के छन्दों का प्रामाणिक ग्रंथ है। पिंगल की भाषा सूत्रात्मक होने से कठिन है अत: इसके भाष्य की आवश्यकता पड़ी।लेकिन अभी तक जितने भी विद्वानों ने भाष्य किये संस्कृत में ही हैं।
परंपरा से संस्कृत जो नहीं पढ़े या संस्कृत नहीं जानते हैं उनके लिये समझ से बाहर हैं। हिंदी और अंग्रेजी में इनका अनुवाद सर्वप्रथम होकर यह पुस्तक हम सबके लिये उपलब्ध है।यही इसकी, अन्य बातों के अतिरिक्त, विशेषता है। आचार्य पिंगल ने अपने छन्द:सूत्र में अनेक गणितीय सूत्र, बाइनरी ऐक्सप्रेशन, पास्कल त्रिभुज और मैट्रिक्स अलजेबरा का प्रयोग किया है जो किसी को भी विस्मित कर देगा। कल्पना करिये यह उन्होंने ईसा से 750 वर्ष पूर्व किया।
विश्वास करिये इस पुस्तक को पढने के बाद जब आप आत्म विश्वास से पूर्ण और अपनी ज्ञान की विरासत पर गर्वित होकर इसकी चर्चा सोशल मीडिया या अन्य अवसरों पर करेंगे तो लोग अनायास ही कह उठेंगे:
“बदले-बदले मेरे सरकार नजर आते हैं…।”
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