पुस्तक परिचयः- प्रस्थानत्रयी-पदानुक्रम-कोषः (एकादश उपनिषद् ब्रह्मसूत्र एवं श्रीमद्भगवद्गीता के विशिष्ट पदों के पदार्थ से युक्त) लेखकः- प्रो. ज्ञानप्रकाश शास्त्री, डा. विजय कुमार त्यागी
संस्कृत साहित्य कोष की दृष्टि से समृद्ध साहित्य रहा है। निघण्टु से प्रारम्भ हुई कोष की यात्रा अमरकोष आदि के रूप में आगे बढ़ती हुई वाचस्पत्यम्, शब्दकल्पद्रुम, हलायुध, मोनियर विलियम्स आदि के संस्कृत-इंग्लिश-कोष के रूप में विकसित होती हुई आज भी निरन्तर प्रवाहमान है। वर्तमान युग में आचार्य विश्वबन्धु शास्त्री ने इसको एक नया आयाम प्रदान किया, उन्होने समस्त वैदिक साहित्य को आधार बनाकर वैदिकपदानुक्रमकोष की परम्परा का शुभारम्भ किया। इस नवीन और अध्ययन की दृष्टि से उपयोगी पद्धति को और आगे बढ़ाते हुए मेरे माध्यम से परमपिता परमात्मा ने सम्पूर्ण ऋग्वेद के समस्त भाष्यकारों के पद और उनके पदार्थों को ऋग्भाष्यपदार्थकोषः के रूप में पूर्ण कराके उपस्थापित किया। इसी श्रृंखला में प्रस्थानत्रयीपदानुक्रमकोषः को प्रस्तुत किया जा रहा है, जिसमें प्रमुख उपनिषदों के साथ ब्रह्मसूत्र और श्री मद्भगवद्गीता के पदों और पदार्थों का समावेश हैं।
यह प्रस्थानत्रयीपदानुक्रमकोषः कोष नतो पूर्ण रूप से पदानुक्रमकोष है और न पदार्थकोष ही। इसका गठन करते समय कतिपय शब्दों की दूरूहता ने यह प्रेरणा दी कि कठिन शब्दों के साथ उनके अर्थ भी दे दिये जायें। इस दूरूहता का समाधान जैसा आचार्य शङ्कर ने किया है, आज भी उसकी कोई तुलना नहीं है। अतः स्वभाविक रूप से उपनिषदों के शाङ्करभाष्य में से कठिन और अप्रयुक्त शब्दों के अर्थ उक्त कोष में दे दिए गये हैं।
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