पुस्तक का नाम – पुरुषार्थ–प्रकाश
लेखक – ब्रह्मचारी नित्यानन्द जी और विश्वेश्वरानन्द जी
श्रीमद्राजाधिराजशाहपुराधीशनाहरसिंहवर्माभ्यर्थनया
श्रीमत्स्वामिविश्ववेश्वरानन्दब्रह्मचारिनित्यानन्दाभ्यां विरचितः
स्व. श्री स्वामी विश्वेश्वरानन्दजी और श्री ब्र. नित्यानन्दजी द्वारा विरचित पुरूषार्थ-प्रकाश
इस पुस्तक में ब्रह्मचर्य और गृहस्थाश्रम नाम के दो प्रकरण हैं। मानव जीवन के धर्म अर्थ काम और मोक्ष इन पुरूषार्थ चतुष्टयों के ये दो आश्रम प्रधान सोपान हैं। व्यक्ति को अपने बालक-बालिकाओं को उचित शिक्षा प्रदान करना आवश्यक होता है। हमारे बच्चे अविद्याजन्य आलस्यादि दुर्वयसनों में फंसकर सद्वैदिक पुरूषार्थपथ का परित्याग न करें और कुर्व्वन्नेह कर्माणि जिजीविषेच्छतसमाः इत्यादि वेद वाक्यों से व सृष्टिक्रम के उदाहरणों से जगन्नियन्ता जगदिश्वर के उपदेश स्वकर्त्तव्य कर्म के उपदेश का पालन करें उसके हेतु इस ग्रन्थ की रचना की गई।
इस पुस्तक के अनुसार वर्तमान परिप्रेक्ष्य बालक-बालिकाओं को प्रत्येक अभिभावक को शिक्षा अवश्य प्रदान करना चाहिए जिससे की उनको यथार्थ पठन-पाठन का निर्धार, सदसद्विषय का विचार, मनुष्यों में सदाचार का सञ्चार और पुरूषार्थ का प्रचार हो।
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