प्राचीन काल मैं आर्य विद्वान् अपनी संपूर्ण कार्य सिद्धि यज्ञों द्वारा ही किया करते थे, ऐसा इतिहास में सुप्रसिद्ध है। यज्ञ द्वारा मनुष्य कठिनतम, भयंकर रोगों से मुक्ति पा सकता है, यहां तक की असाध्य रोग भी विशेष विधि से किए हुए यज्ञ द्वारा नष्ट हो जाते हैं।
पुत्रेष्टि यज्ञ के विषय में न तो कोई वर्तमान में उत्तम साहित्य ही उपलब्ध है और न इस संबंध में कोई उत्तम सामग्री ही कहीं मिलती है। यह वैदिक विषय एक प्रकार से अधकार में ही पड़ा हुआ है।
पंडित सुरेंद्र शर्मा जी ने उपर्युक्त यज्ञों में से पुत्रेष्टि यज्ञ की पद्धति लिखकर एक बड़ी भारी कमी को पूरा कर दिया है। इस पद्धति की विशेषता यह है कि इसमें न केवल यज्ञ पद्धति ही दी गई है अपितु पति और पत्नी के लिए काफी सामग्री एकत्रित की गई है, जिनके जान लेने से आप अच्छे माता और पिता बन सकते हैं।
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