वैदिक सिद्धान्त अपने आप में सत्य, सनातन और शाश्वत हैं। इन्हीं वैदिक सिद्धान्तों और आर्यसमाज के दृष्टिकोण को सर्वसाधारण को समझाने के लिए लेखक ने इन्हें प्रश्नोत्तर शैली में अत्यन्त रोचक व सरल भाशा में प्रस्तुत किया है।
इस पुस्तक का यही उद्देश्य है कि यदि वैदिक सिद्धान्त हमारे मस्तिष्क में बैठ जाएँ तो हम वैदिक और अवैदिक सिद्धान्तों के अन्तर को समझने में समर्थ होंगे। और इनके प्रचार-प्रसार द्वारा ही हमारे सभी कष्ट दूर हो सकते हैं।
आईए महर्षि दयानन्द द्वारा दिखाई गई ज्ञानलोक की इन किरणों से अज्ञान के अन्धकार को दूर भगाएँ।
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