पुस्तक का नाम – संस्कृत वाङ्मय में नारी
लेखिका का नाम – सिप्रा बैनर्जी
“संस्कृत वाङ्मय में नारी एक परिचयात्मक कोश” को केवल कोश मात्र कहना सम्भवतः पर्याप्त नहीं होगा। इसे ‘विश्वकोश’ की संज्ञा दी जा सकती है क्योंकि इसमें प्राचीन भारत की मात्र नारियों का परिचय नहीं अपितु स्त्रीलिङ्ग के सभी चेतन जीव मूर्त और अमूर्त का उल्लेख है, उनकी परिचय़ है और उनका पूरा विवरण भी।
प्रस्तुत कोश ग्रन्थ में वैदिक संहिताएं, प्रमुख उपनिषद्, रामायम, महाभारत तथा अठारह पुराणों के साथ-साथ ब्राह्मण, आरण्यक, निरुक्त, शौनककृत बृहद्देवता तथा अनेकों वेद भाष्यकारों में वर्णित नारियों को आधार बनाकर प्रस्तुत कोश तैयार किया गया है।
प्राचीन भारत में स्त्रियों की सामाजिक स्थिति, उनकी व्यक्तिगत दशा आदि का अध्ययन करने का अवसर मिला परन्तु कहीं भी नारी का सन्दर्भ सहित पूरा विवरण एक साथ उपलब्ध नहीं था। इस ग्रन्थ में नारी का परिचय प्रस्तुत करते हुए उसके माध्यम से समस्त सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक स्थिति की जानकारी तो दी ही है, साथ ही साथ अनेक जटील समस्याओं का भी समाधान दिया गया है।
प्रस्तुत कोश का एक अन्य आकर्षण है नारी की चारित्रिक विशेषताओं और उनकी शक्ति का विवेचन। वेद का अध्ययन न कर पाने वाला इस कोश के माध्यम से यह जान सकता है कि नारी का प्राचीनकाल में कितना गौरवमयी स्थान है।
इस कोश में जहाँ सती, पार्वती, राधा, लक्ष्मी, सरस्वती जैसी सुप्रतिष्ठिता और सर्वत्र पूजिता देवियों का विशद और विस्तृत परिचय कोश का एक व्यापक विषय है वहीं ललिता, गायत्री, भुवनेश्वरी, पृथिवी, प्रकृति, योगमाया, योगनिन्द्रा, एकानंशा जैसी अल्पपरिचिता तथापि महत्त्वपूर्ण देवियों का भी विस्तृत परिचय इसमें उपलब्ध होता है। दूसरी ओर प्रान्त विशेष में अराध्य देवियों का भी स्थान है।
संक्षेप में इस कोश को नारी-दर्शन कहा जा सकता है।
इस कोश से शोधार्थियों को अत्यन्त लाभ प्राप्त होगा।
(सूचना – इस पुस्तक को कोश की भाँति प्रयोग करने के लिए और तुलनात्मक शोध करने के लिए वेदऋषि पर रखा गया है, इसकी अधिकांश बातों से हम लोगों का सैधान्तिक मतभेद है अतः यह शोध और कोश के रुप में ही ग्रहण करें)
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