सत्यार्थ प्रकाश
महर्षि दयानंद
विशिष्ट और महत्वपूर्ण व्यक्ति अपने बहुमूल्य समय की महत्ता ध्यान रखते हैं और केवल उच्चकोटी की विशेषतापूर्ण वस्तुओं पर ही अपना ध्यान केन्द्रित करते हैं। अतः किसी विशिष्ट व्यक्ति की दृष्टि में कोई वस्तु लानी हो तो उसका कलेवर आकर्षक होना आवश्यक होता है। बहुमूल्य रत्नों को आकर्षक कलेवर प्रदान किया जाता है अतः जिस वस्तु का हम अधिकाधिक प्रचार करना चाहते हैं उसके कलेवर की गुणवत्ता का भी विशेष महत्व है। संसार में आम धारणा है कि किसी बहुमूल्य वस्तु का कलेवर उत्तम कोटी का और आकर्षक होगा। सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ को उसके प्रतिष्ठानुरूप उच्चकोटी का आवरण प्रदान करके नयनाभिराम, मनमोहक और भव्य स्वरूप प्रदान करके प्रस्तुत किया है। पुस्तक की जिल्द काष्ठ पट्टिका में सुन्दर बेलबूटों की नक्काशी करके बनाई गयी है जो इस ग्रन्थ को भव्यता प्रदान करती है। गन्थ में उत्तम पृष्ठों का प्रयोग किया गया है तथा लाल और काले अक्षरों में सुन्दर अक्षर विन्यास का प्रयोग करके इसे छापा गया है।
यह ग्रन्थ इतना आकर्षक बन पड़ा है कि यदि आपके आगन्तुक कक्ष में मेज पर पड़ी हो तो इसे पलटकर देखने का लोभ संवरण कोई नहीं कर सकेगा। सुन्दर और बड़े अक्षरों में लिखी होने के कारण इसे पढ़ने बैठें तो कोई भी व्यक्ति इसे पढ़ता ही चला जाएगा। इस ग्रन्थ के आकर्षक होने के कारण यदि यह आपके अध्ययन की मेज पर पड़ी हो तो अनायास इसे उठाकर आपके द्वारा स्वाध्याय करने की संभावना बढ़ जाती है। इस पुस्तक को आप विशिष्ट और महत्वपूर्ण व्यक्तियों को उपहार स्वरूप प्रदान करने के लिए प्रयोग कर सकते हैं।
वेद ऋषि
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