पुस्तक का नाम – शिक्षा शास्त्रम्
भाष्यकार – उदयनाचार्यः
“अङ्ग्यते ज्ञायते वेदार्थ एभिरित्यअङ्गानि, वेदानामङ्गानि” अर्थात् जिनकी सहायता से वेदों का अर्थ जाना जाता है उसे वेदा़ङ्ग कहते है। ये छह हैं, अत: इन्हें षडङ्ग भी कहते है। इनमें शिक्षा को घ्राण कहा हैं। जिसके द्वारा वर्णों वा शब्दों के उदात्तादि स्वरों के शुद्धा-शुद्ध उच्चारण का परिज्ञान हो उस शास्त्र को शिक्षा–शास्त्र कहते हैं।
प्रस्तुत् ग्रन्थ पाणिनि मुनि प्रोक्त पाणिनि शिक्षा (सूत्रात्मक) के वृद्ध पाठ का हिन्दी में भाष्य है। यह ध्वनि विज्ञान का अतिमहत्वपूर्ण ग्रन्थ है। इस लघु कलेवर ग्रन्थ में शिक्षा शास्त्र के अत्यन्त महत्वपूर्ण वैज्ञानिक तथ्य सचित्र सम्मिलित हैं। इसके प्रत्येक अक्षर की क्रमिकता, वर्गीकरण सुनिश्चित आधार पर अवलम्बित है। इस ग्रन्थ में वर्णों की उच्चारण पद्धति, उनके वर्गीकरण के आधार आदि विषयों पर वैज्ञानिक नियम सुस्थापित किये गए हैं।
इसमें सूत्रार्थ वर्णन के साथ-साथ इसके पारिभाषिक शब्दों की एक निश्चित पहचान बताई गयी है तथा आधुनिक ध्वनि-विज्ञान से तुलना भी की गई है। इससे यह जानने में सहायता मिलेगी कि प्राचीन शास्त्रीय वचन आधुनिक ध्वनि-विज्ञान को किस प्रकार सुसंगत करते हैं। इसमें विभिन्न शिक्षा ग्रंथों का परिचय और अंत में कई लेख दिए गये हैं। स्वाध्यायी विद्यार्थी इससे अवश्य ही लाभान्वित होंगे।
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