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स्वामी दर्शनानन्द ग्रन्थ सेट

Swami Darshananand Granth Set

750.00

Subject : Swami Darshnanand Granth Mala
Edition : 2013
Publishing Year : 2023
SKU # : 36567-VG00-0H
ISBN : 9788170771890
Packing : 2 Books
Pages : 464
Dimensions : 14X22X6
Weight : 1360
Binding : Hard Cover & Paperback
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स्वामीजी महाराज के जीवन काल में प्रकाशित होनेवाली अनेक पत्र-पत्रिकाओं व अन्य स्रोतों के आधार पर कुछ वर्ष पूर्व मैंने स्वामीजी महाराज का एक विस्तृत और प्रामाणिक जीवन- चरित लिखा था। उसमें २५-३० पृष्ठ की ठोस सामग्री छूट गई। इसके पश्चात् भी मैंने इस महान् दार्शनिक, त्यागी, तपस्वी साधु के जीवन-सम्बन्धी पर्याप्त खोज की है। गोविन्दराम हासानन्द द्वारा स्वामी दर्शनानन्दजी महाराज के सम्पूर्ण साहित्य के पुनरुद्धार के इस नूतन व ऐतिहासिक प्रयास पर मैंने स्वयं ही स्वामी जगदीश्वरानन्दजी के सामने यह प्रस्ताव रखा कि इस संग्रह के आरम्भ में श्री महाराज के जीवन-परिचय की भी आवश्यकता है और इसे मैं लिखूँगा। स्वामीजी महाराज के छोटे-छोटे कई जीवन-चरित छपे हैं और पं० श्री श्रीरामजी ने कुछ विस्तार से भी उनकी जीवनी लिखी, परन्तु सभी में कुछ अप्रामाणिक सुनी सुनाई बातें छप गईं।

श्री स्वामीजी महाराज का जन्म माघ मास की दशमी के दिन विक्रम संवत् १९१८ को जगराँवाँ, ज़िला लुधियाना के एक प्रतिष्ठित, सुशिक्षित और सम्पन्न परिवार में हुआ। आपके पिता पं० श्री रामप्रतापजी जोशी और दादा पं० दौलतरामजी की विद्या व दानशीलता की दूर-दूर तक प्रसिद्धि थी। श्री रामप्रतापजी कुछ समय तक अध्यापक और फिर खज़ानची के पद पर आसीन रहे। बाद में वाणिज्य व्यापार में ही लग गये। अपनी अर्थ-शुचिता के लिए पं० श्री रामप्रताप का आचरण एक उदाहरण माना जाता था। इसके लिए एक विशेष घटना बहुत चर्चित रही है। उस काल की रीति के अनुसार (और अब तो घूस व उपहार देने का स्तर बहुत ऊँचा हो गया है) एक नम्बरदार ने पं० श्री रामप्रतापजी को एक रुपया भेंट कर दिया। उसी दिन कोष में पाँच रुपये कम हो गये। पण्डितजी की समझ में आ गया कि यह अनुचित रूप से एक रुपया लेने का फल है। उसी दिन से किसी से किसी भी रूप में कुछ भी अनुचित भेंट उपहार लेना बन्द कर दिया।

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