मीडिया में कालेधन को लेकर अक्सर बहस छिड़ती रहती है मोदी सरकार बे सत्ता सँभालते ही अपने सबसे पहले निर्णय में कालेधन पर विशेष जाँच दल का गठन किया आजाद भारत में कालेधन को लेकर पहली बार संसद के अन्दर कानून बना स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया के ताकतवर देशों के समूह जी-20 में कालेधन को आतंकवाद, धन शोधन और नशीले पदार्थों के व्यापार से जोड़ कर उसे वैश्विक खतरे के रूप में स्थापित किया लेकिन मीडिया इस बात को लेकर हमेशा दु:खी रहती है कि स्वामी रामदेव नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ आन्दोलन क्यों नहीं चला रहे हैं यह वही मीडिया हैं, जिसने कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ स्वामी रामदेव के द्वारा २ सितम्बर २०१० को शुरू किये गए भारत स्वाभिमान आन्दोलन पर यह कहते हुए सवाल उठाया था कि एक संत को आन्दोलन करने की क्या जरुरत हैं ? मीडिया का यह दोहरा चरित्र कांग्रेस संचालित यूपीए सरकार के सत्ता से हटते ही परिलक्षित होने लगा
2 जी, कोयला खदान आवंटन और राष्ट्रमंडल खेल घोटाले में यूपीए सरकार के साथ-साथ कई मीडिया हाउस और बड़े पत्रकारों के नाम भी सामने आय थे, जिसकी वजह से कांग्रेस सरकार के खिलाफ स्वामी रामदेव का आन्दोलन उन्हें रास नहीं आया था जिस यूपीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बावजूद कालेधन की जाँच के लिए तिन साल तक विशेष जाँच दल का गठन नहीं किया, उससे किसी पत्रकार ने कोई सवाल कभी पूछा ही नहीं, है न आश्चर्य !
दरसल मीडिया का असली दु:ख यह है कि २० लाख किसी की यात्रा और २० करोड़ लोगों से सीधे संवाद कर स्वामी रामदेव ने जो आन्दोलन खड़ा किया – लोकसभा चुनाव-२०१४ में कांग्रेस को तिनके की तरह बहा कर ले जाने में उसकी बहुत बड़ी भूमिका रही चुनाव प्रचार के दौरान नरेन्द्र मोदी ने कहा था स्वामी जी देशसेवा का काम कर रहें और लोग सवाल उठा रहें हैं कि आप सब यह क्यों कर रहे हैं रामदेव जी जिस काम को कर रहे हैं वह राष्ट्र सेवा भी है और हमारी पूरी संत परंपरा भी
वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तब सही कहा था, आधुनिक भारत के निर्माण तक में राजनैतिक सत्ता आध्यात्मिक नेतृत्व के बल पर ही आगे बढी है जब-जब ऐसा हुआ भारत का गौरव शिखर पर पहुँचा हैं यह भारत की समूची विरासत है आजादी से पूर्व ब्रिटिश शासन ने और आजादी के बाद एक खास विचारधारा के बुद्धिजीवियों ने भारत के गौरवपूर्ण इतिहास को खुरच-खुरच कर मिटाने का प्रयास किया इसकी वजह से आज की हमारी युवा पीड़ी अपने पुरे इतिहास और आध्यात्मिक परम्परा के ज्ञान से एक तरह से वंचित कर दी गई हैं
स्वामी रामदेव ने भ्रष्ट शासन व्यवस्था को उखाड़ फेंकने के लिए जो किया, वह कोई नई शुरुवात नहीं है , महर्षि विश्वामित्र ने क्या किया था?
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