Vedrishi

Free Shipping Above ₹1500 On All Books | Minimum ₹500 Off On Shopping Above ₹10,000 | Minimum ₹2500 Off On Shopping Above ₹25,000 |
Free Shipping Above ₹1500 On All Books | Minimum ₹500 Off On Shopping Above ₹10,000 | Minimum ₹2500 Off On Shopping Above ₹25,000 |

स्वामी श्रद्धानन्द एक विलक्षण व्यक्तित्व

Swami Shraddhanand Ek Vilakshan Vyaktitva

350.00

SKU 37083-SC00-0H Category puneet.trehan

Out of stock

Subject : swami Shraddhanand
Edition : N/A
Publishing Year : N/A
SKU # : 37083-SC00-0H
ISBN : N/A
Packing : N/A
Pages : N/A
Dimensions : N/A
Weight : NULL
Binding : N/A
Share the book

 

Swami Shradhananad Ek Vilakshan Vyaktitv

स्वामी श्रद्धानन्द: एक विलक्षण व्यक्तित्व

सम्पादक: डॉ. विनोदचन्द्र विद्यालंकार

————–

अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानन्द जी का नाम सुनते ही मस्तिष्क में एक ऐसे निर्भिक और तेजस्वी संन्यासी का रेखाचित्र बनने लगता है जो पराधीन भारत की विषम परिस्थितियों में एकछत्र राज्य करने वाले कूटनीति प्रविण अंग्रेजों की संगीनों के समक्ष अपना सीना तानकर खडे हो जाते है और कूटील शासकों के प्रतिनिधि कुछ नहीं कर पाते… एक ऐसा संन्यासी जो विरोधी विचारों के लोगों में भी आदर का पात्र बन गया है… एक ऐसा अधिकारी जो अपने नीचे कार्यरत जनों का भी आदर-सत्कार करता हो और जो पात्र के अभाव में गुरुकुल के ब्रह्मचारी की उल्टी अपनी अंजली में ले लेता हो और जो अपनी सम्पत्ति का एक-एक पैसा समाजहित को अर्पित करता हो… स्वामी श्रद्धानन्द अपने आप में एक संस्था थे, युग निर्माता थे, धारा के विरुद्ध खडे रहकर अपने दृढ संकल्पों और कर्मों से समाज का निर्माण करने वाले थे. उनके जीवन के इतने विभिन्न आयाम है कि उनके विलक्षण व्यक्तित्व से व्यक्ति आश्चर्यचकित होता है कि क्या एक व्यक्ति एक ही जन्म में इतनी कुशलता और योग्यता अर्जित कर सकता है!!

ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी स्वामी श्रद्धानन्द जी के सम्बन्ध में अनेक छोटे-बडे जीवन चरित प्रकाशित हो चुके है, जिनमें स्वामी जी की आत्मकथा कल्याण मार्ग का पथिक”, पं. सत्यदेव विद्यालंकार का स्वामी श्रद्धानन्दतथा पं. इन्द्र विद्यावाचस्पति का मेरे पिताउल्लेखनीय है. परन्तु उनके सम्बन्ध में कोई ऐसा ग्रंथ उपलब्ध नहीं था, जिसमें स्वामी श्रद्धानन्द को निकट से जानने वाले और संख्या में उत्तरोत्तर कम होते जा रहे व्यक्तियों एवं उनके वात्सल्यभागी स्नातकों के उनके जीवन से सम्बन्धित संस्मरणों का संग्रह हो. हमारे सौभाग्यवश, इस अभाव की पूर्ति डॉ. विनोदचन्द्र विद्यालंकार जी ने कर दी है.

 स्वामी श्रद्धानन्द जी के व्यक्तित्व के विविध पक्षों को उजागर करने वाला यह ग्रन्थ-रत्न आठ खण्डों में विभाजित किया गया है.

 जीवन गरिमानामक प्रथम खण्ड में स्वामी जी का संक्षिप्त जीवनवृत्त, उनकी कालक्रमानुसार जीवन-झांकी, वंशावली, साहित्य-सेवा, उनके कुटुम्बिजन तथा उनके उत्कृष्ट स्मारक गुरुकुल कांगडी का विस्तृत परिचय दिया गया है.

 द्वितीय तथा तृतीय खण्ड में संस्मरणों का संग्रह है. संस्मरण-माला (एक)उन लोगों के संस्मरण सुमनों से गूंथी गई है, जिन्होनें संस्मरण-सामग्री स्वयं भिजवायी थी. संस्मरण-माला (दो)के संस्मरण पुष्पों का चयन विविध स्त्रोतों से किया गया है.

 लेख-मालानामक चतुर्थ खण्ड के अन्तर्गत प्रथम सात लेख स्वामी जी के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर है तथा अन्तिम दो लेखों में से एक में स्वामी जी की गुरुकुल भक्ति की तथा दूसरे में गुरुकुल के ब्रह्मचारीयों से सम्बन्धित सच्ची कहानीयां है.

पत्राचारशीर्षक पंचम खण्ड में महात्मा मुंशीराम (स्वामी श्रद्धानन्द) द्वारा अपने कनिष्ठ पुत्र इन्द्र, पोषिता कन्या सुमित्रा, श्री गुरुदत्त, महात्मा गांधी और श्री भवानीदयाल संन्यासी को संबोधित पत्र; स्वामी जी का गांधीजी और कोंग्रेस के महामन्त्री से पत्र-व्यवहार तथा स्वामी जी के नाम गांधीजी के पत्र प्रस्तुत किये गये है.

 स्वामी श्रद्धानन्द की लेखनी सेनामक छ्ठे खण्ड में स्वामी जी द्वारा महर्षि दयानन्द जी के चरणों में अर्पित श्रद्धांजली, स्वामी जी की आपबीती तथा कतिपय महत्वपूर्ण घटनाओं के अतिरिक्त उनकी लेखनी से निःसृत वे विचार उद्धृत किये गये है जिनका आज के सन्दर्भ में भी उतना ही महत्व है जितना उस समय था जब वे लिखे गये थे.

 भाव-प्रसूनशीर्षक सातवें खण्ड में विभिन्न अवसरों पर देश-विदेश के नेताओं, विद्वानों, शिक्षाशास्त्रीयों एवं साहित्यकारों द्वारा स्वामी जी के बारे में प्रकट किये गये उद्गारों का संग्रह है.

 आठवें खण्ड काव्य-कुसुमांजलीमें कवियों ने स्वामी श्रद्धानन्द के प्रति अपनी काव्यमय श्रद्धांजलियां अर्पित की है. इसके बाद परिशिष्टके अन्तर्गत स्वामी जी पर प्रकाशित साहित्य का विवरण, संस्मरण लेखकों का संक्षिप्त परिचय तथा ग्रन्थ के प्रणयन में प्रयुक्त सन्दर्भ-साहित्य की सूची दी गई है. ग्रन्थ के अंत में स्वामी के विभिन्न अवसरों के, उनके कुछ कुटुम्बिजनों के, दीक्षारम्भ से दीक्षान्त तक कुलपिता की गोद में रहने वाले तथा अन्य वात्सल्यभागी कुलपुत्रों के, स्वामी जी के कुछ सहयोगीयों आदि के कुछ दुर्लभ चित्र दिये गये है.

 आर्ट पेपर पर सुन्दर व आकर्षक छपाई वाले इस ग्रन्थ में प्रधानता संस्मरणो को ही दी गई है, अन्य विषय अंग रुप में इस उद्देश्य से सम्मिलित किये गये है, ताकि पाठकों को स्वामी जी के आन्तरिक एवं बाह्य व्यक्तित्व, उनके विशिष्ट गुणों एवं प्रवृत्तियों की अधिक गहरी थाह मिल सके. कुलपिता स्वामी श्रद्धानन्द जी के जीवन-प्रसंग रुपी सुमनों को पिरोकर तैयार की गई यह ग्रन्थ-माला पठनीय एवं संग्रहणीय है.

 

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Swami Shraddhanand Ek Vilakshan Vyaktitva”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recently Viewed

Register

A link to set a new password will be sent to your email address.

Your personal data will be used to support your experience throughout this website, to manage access to your account, and for other purposes described in our privacy policy.

Lost Password

Lost your password? Please enter your username or email address. You will receive a link to create a new password via email.

Close
Close
Shopping cart
Close
Wishlist