पुस्तक का नाम – वेद प्रवचन
लेखक का नाम – गंगा प्रसाद उपाध्याय एम.ए.
यह पुस्तक छात्रों के हित को ध्यान रखते हुये लिखी गई है। वेद भारतीय संस्कृति का सर्वस्व है। वैदिक स्वाध्याय के साधन अत्यन्त न्यून हैं। यह वेदों के पुनः प्रचार करने का केवल उषःकाल है। उसके साधन बहुत कम हैं और काम बहुत अधिक है। प्रायः लोगों का समय अधिकतर जीवन के धंधों में जाता है। उनकों स्वाध्याय का अवकाश नहीं मिलता है, पुस्तकें भी नहीं होती है। कुछ लोग भ्रान्तियाँ भी फैलाया करते हैं। इन सभी बातों को ध्यान में रखकर पण्डित गंगाप्रसाद उपाध्याय जी ने प्रस्तुत पुस्तक तैयार की थी।
विद्वान कई प्रकार के होते हैं – कुछ सुविज्ञ पण्डित होते हैं। कुछ मध्यम श्रेणी के होते है। कुछ अत्यन्त साधारण होते है। सभी अपने-अपने स्थानों पर उपयोगी है उनके साधन भी भिन्न भिन्न होने चाहिए। इस पुस्तक में सबकी आवश्यकताओं का ध्यान रखा गया है। व्याख्या प्रायः सरल है किन्तु कहीं-कहीं जटील युक्तियाँ भी मिलेंगी तथा व्याकरण की व्युत्पतियाँ भी मिलेंगी। यह सब इस कारण से रखी गई हैं कि जिससे पाण्डित्य प्रिय लोग भी पुस्तक से लाभान्वित हो सकें। जो प्रमाण प्रस्तुत किये गये हैं उनके पूरे पत्ते देने का प्रयास किया गया है ताकि अध्ययन और प्रमाणों को खोजने में सरलता रहे।
यदि इन वेद मंत्रों का सावधानी से तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा तो अन्य मंत्रों के अध्ययन में भी सुगमता भी होगी, परन्तु सफल विचारकों को दो बातें याद रखनी चाहिए। किसी युक्ति का प्रयोग तब तक न किजीए जब तक उसे समझ न लिया जाए तथा किसी प्रमाण पर विश्वास न कीजिए जब तक कि मूल से मिला लिया न जावें।
आशा है कि पाठकगण इस पुस्तक को पढ़कर निश्चय ही वेदभक्त बनेंगे
वेद ऋषि
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