वेद के संबंध में अनेक संशय देशवासियों में उत्पन्न हो चुके हैं। इस पुस्तक की रचना का मुख्यता उद्देश्य इन्हीं भ्रमों को दूर कर देना है। पुस्तक का दूसरा उद्देश्य यह भी है कि जनता में वेद की आआंतरिक शिक्षाओं का प्रचार हो जिससे वह स्वयं भी वेद की जानकारी प्राप्त करके लाभ उठाएं।
पहले उद्देश्य की पूर्ति के लिये जहाँ तर्क और प्रमाणों से काम लिया गया है। वहाँ दूसरे उद्देश्य की पूर्ति के लिये वेदमंत्रों का अच्छा संग्रह पुस्तक के अंत में दिया गया है। उनसे जहाँ वेद का आआंतरिक ज्ञान प्राप्त होगा, वहाँ दूसरी ओर वे दैनिक स्वाध्याय के भी काम में आ सकेंगे।
वेदरहस्य स्वामी जी की अनूठी कृति है। यह वेद विषयक अनेक रहस्यों, जिज्ञासाओं के समाधान के साथ वेद की वैज्ञानिकता व आध्यात्मिकता को प्रकट करती है।
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