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वेद सन्देश (4 भाग)

Ved Sandesh (4 Volumes)

550.00

Subject : Veda Mantras
Edition : 2019
Publishing Year : 2019
SKU # : 36778-DC00-0E
ISBN : N/A
Packing : 4 Volumes
Pages : 1108
Dimensions : 21cm X 13cm
Weight : 1375
Binding : Hard Cover
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पुस्तक का नाम – वेद सन्देश

लेखक का नाम – प्रा. रामविचार एम. ए.

वेद विविध बहुमूल्य विचार-रत्नाकर है। मानव के लिए उपयोगी समस्त ज्ञान-विज्ञान, सदुपदेश एवं सत्प्रेरणाएँ इनमें निहित है। वेद-संदेश में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण वेद-मन्त्रों और सूक्तों का सङ्ग्रह किया गया है और सूक्तों का सङ्ग्रह किया गया है और उनकी विशद एवं मौलिक व्याख्या की गयी है। सङ्ग्रह का एक-एक मन्त्र और उसका एक-एक शब्द हमारे जीवन को महान बना देने की शक्ति रखता है।

प्रस्तुत पुस्तक में ईश्वरोपासना, पञ्चदेव पूजा, परोपकार, सत्सङ्ग, स्वाध्याय, क्रोध, क्रोध, लोभ, मोह, धैर्य, ज्ञान, अंहिसा तथा समय का मूल्य आदि विषयों पर प्रकाश डाला गया है।

इस पुस्तक की निम्न विशेषताएँ है –

  • यह पुस्तक प्रत्येक मनुष्य के लिए लाभदायक है चाहें वह किसी भी देश अथवा सम्प्रदाय का हो।
  • जीवन के व्यवहारिक पक्ष से सम्बन्धित है।
  • जीवन के नैतिक एवं आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है।
  • इसमें अनेकों वैदिक एवं संस्कृत साहित्यों के उद्धरण दिये हुए हैं।
  • संस्कृत के अलावा उर्दू-फारसी भाषाओं के पद्यों को भी सम्मलित किया गया है।
  • महापुरूषों के दिव्य जीवनों के उदाहरणों से समलंकृत किया गया है।
  • सरस एवं सरल भाषा और रोचक शैली में लिखी हुई है।

 

प्रस्तुत पुस्तक चार भागों में है। जिनकीं विषयसूची निम्न प्रकार है –

भाग-1 – इसमें मनुष्य को मनुष्य बनाने, छः शत्रुओं का दमन, भय और अभय, सदाचार, मृत्यु पर विजय, धरती पर स्वर्ग, विश्वशांती में वेदों की भूमिका, मन-वशीकरण, वाणी ऐसी बोलिए, अहंकार इस विषय में वर्णन किया गया है।

भाग-2 – इसमें ईश्वरोपासना, ईश्वर का आश्रय ही सबसे बड़ा आश्रय है, पञ्चदेव, हम परोपकार के मार्ग से परे न हों, स्वाध्याय, मोह के समान कोई मादक द्रव्य नहीं, अंहिसा भी और हिंसा भी, समय सब द्रव्यों से अधिक मूल्यवान है आदि विषयों का विवेचन किया गया है।

भाग-3 – इसमें ईश्वर, सच्चे ईश्वर भक्त के लक्षण, अपनी पडताल, सदाचार, लोभ, मोह, ईर्ष्या, अहंकार, हृदय परिवर्तन, गृहास्थाश्रम, परोपकार, त्याग, दान, स्वाभिमान, उदारता, धैर्य आदि विषयों का वर्णन किया है।

भाग-4 – इसमें ध्यान, वाणी का संयम, वाक्पटुता, स्वस्थता, संकल्प, साहस और उत्साह, कर्तव्यपालन, छुआछूत, हिन्दी भाषा, वेशभूषा, जीने की कला सीखिए आदि विषयों का उल्लेख किया है।

इस प्रकार विविध विषयों से परिपूर्ण इस पुस्तक का आर्यजनों को नित्य स्वाध्याय करना चाहिए।

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