प्रस्तुत पुस्तक में लेखक ने भारतीय समाज में प्रचलित कुछ मान्यताओं का वैज्ञानिक एवं व्यवहारिक दृष्टि से विवेचन प्रस्तुत किया है। जैसे प्रमाण और उसके प्रकार, जीवन के लिए पंचतत्व का महत्व, ऊर्जा एवं प्रधान प्रकृति में समानता, यज्ञ पर प्रयोग एवं उसकी उपयोगिता, आत्मा का अस्तित्व, उसका अलिंगी गुण, ईश्वर की वैज्ञानिक पुष्टि, साधना हेतु धारणा की आवश्यकता तथा उसके विकल्प, वैदिक काल में नारी का स्थान, तथा रामायण एवं महाभारत की घटनाओं पर तर्कसंगत विचार प्रस्तुत किए गए हैं।
आशा है की अधिक-से-अधिक लोग इस पुस्तक को पढ़कर मनन-चितन कर अपने जीवन की दिशा को सत्यकार्य व सन्मार्ग पर लगाकर अतिम लक्ष्य चिरंतन आनंद को प्राप्त करने का प्रयत्न करेंगे।
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