यह सत्य है कि यदि ब्रह्म का जिज्ञासु वेदों में वर्णित सृष्टि रचना का अध्ययन किसी वेद के ज्ञाता विद्वान् के आश्रय में रहकर करता है तब उसे सृष्टि रचना का ज्ञान होता है और सृष्टि रचना के ज्ञान द्वारा उसे यह अलौकिक ज्ञान होता है कि चारों वेदों का ज्ञान प्रत्येक सृष्टि के आरम्भ में ईश्वर से उत्पन्न होकर चार ऋषियों अर्थात् अग्नि, वायु, आदित्य, अङ्गिरा के हृदय में ईश्वर के सामर्थ्य से प्रकट होता है। केवल वेदाध्ययन द्वारा ही ईश्वर के अलौकिक गुण, कर्म, स्वभाव, अनन्त ज्ञान आदि का ज्ञान होता है (ऋग्वेद मंत्र 10/109/1,2)| सृष्टि रचना का वर्णन आगे के अध्याय में किया गया है परन्तु यहाँ भी तनिक सा चिंतन करें। इस चिंतन से उपनिषदों के चारों वचन- ‘अहम् ब्रह्मास्मि, तत्त्वमसि, सर्वम् खल्विदम् ब्रह्म, प्रज्ञानम् ब्रह्म’ भी ठीक-ठीक समझ आ जाते हैं। यजुर्वेद मंत्र 31/1 का भाव है कि हम मनुष्य आदि प्राणियों के असंख्य सिर, आँख, पाँव, अन्य अंग तथा शरीर ये सम्पूर्ण जड़ जगत्, इसके पदार्थ सब का रचयिता परमेश्वर है और ये सब का स्वामी भी वही है।
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Vedon Se Jharta Sanatan Satya – by Swami Ramswaroop Yogacharya (स्वामी रामस्वरूप योगाचार्य)
वेदों से झरता सनातन सत्य
Vedon Se Jharta Sanatan Satya – by Swami Ramswaroop Yogacharya (स्वामी रामस्वरूप योगाचार्य)
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Subject : Vedon Se Jharta Sanatan Satya, वेदों से झरता सनातन सत्य
Edition : 2020
Publishing Year : 2020
SKU # : 37844-VR00-0H
ISBN : 9789380698410
Packing : Hardcover
Pages : 317
Dimensions : 14X22X2
Weight : 532
Binding : Hardcover
Description
Additional information
Weight | 532 g |
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