आज का विज्ञान मृत्यु के जो भी अर्थ बताए परन्तु वैदिक अर्थ तो यही है कि शरीर और जीवात्मा के वियोग को मृत्यु कहते हैं।
हाँ, यह भी एक सत्य है कि मृत्यु किसी निश्चित समय पर आती है। अतः मोह माया में भी फंसे मनुष्य को मृत्यु का भय केवल उसी समय अनुभव होता है, जब उसे मृत्यु आने का आभास होता है वरना इससे पहले तो वह यह समझता है कि अमुक-अमुक इन्सान मर गया है, उसने कहाँ मरना है। वस्तुतः दुःख और मृत्यु तो वैसे भी कोई नहीं चाहता, परन्तु ईश्वर की शरण के बिना ऐसे मोह माया में फंसे मनुष्य का सुख चाहने और न मरने वाला विचार तो भ्रान्ति युक्त है- वेद विरुद्ध है और हठ धर्म ही है, जो उसे सुख के स्थान पर सदा कलह, परेशानियों, रोग आदि में रखकर दुःख देता हुआ एक दिन मृत्यु का ग्रास बना देता है। मनुष्य इस मृत्यु के रहस्य को अवश्य समझे जो उसका धर्म भी है।
गृहस्थाश्रम में यजुर्वेद मंत्र 40/2 के अनुसार विद्वानों से वेदों का ज्ञान लेकर वेदों के अनुसार ही यज्ञ आदि शुभ कर्म करें, ईश्वर की पूजा करें और सुखी रहें।
Reviews
There are no reviews yet.