यह जीवन एक संग्राम भूमि है, जिसमें हमें प्रतिदिन सैकड़ों विरोधी शक्तियों से युद्ध करना पड़ता है, अतः इस जीवन संग्राम में वही विजयी हो सकता है जो स्वस्थ है।
मनुष्य को प्रथम अपने शरीर को सम्भाल करनी चाहिए, क्योंकि अन्य सब धन, सम्पत्ति आदि पदार्थों तथा सुख साधनों के होने पर भी स्वस्थ शरीर के बिना वह सब नहीं के समान है।
पुस्तुत पुस्तक में योग का उद्देश्य, आहार, व्यवहार, आचार कैसा हो, रोगों की यौगिक चिकित्सा, योगासनों की विधि एवं लाभ, मुद्रायें, बन्ध कियाएँ, स्त्रियों के यौगिक व्यायाम, वृद्धावस्था दूर करने के अमोघ उपाय, प्राणायाम, प्राणायाम विधि, प्राकृतिक चिकित्सा, उपवास आदि मुख्य मुख्य अंगों के करने की सरलतम विधि, शरीर को स्वस्थ रखने के अचूक उपाय आदि विषयों पर प्रकाश डाला गया है।
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